राजेंद्र प्रसाद मिश्र
बारा।राखड़ परिवहन के चलते प्रदूषण का दंश झेल रहे क्षेत्रवासियों को अभी राहत तो नहीं मिली। अब फ्लाईऐश (जले कोयले की राख) भी दम घोटने का कार्य करने लगी है। फ्लाईऐश के परिवहन में मनमानी इसकी मुख्य वजह है। जिला प्रशासन की शिथिल कार्य प्रणाली व पीपीजीसीएल में कार्यरत टाटा कंपनी के अधिकारियों पर दरियादिली परिवहन में मनमानी को बढ़ावा दे रहा है।फ्लाईऐश का परिवहन नियम कायदों को ताक पर रख कर मुख्य मार्ग से हो रहा है और प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है। विद्युत उत्पादक कंपनी में कार्यरत टाटा कंपनी के फ्लाईऐश का परिवहन बारा शंकरगढ़ क्षेत्र के आसपास के गांवों की खदान में डाला जा रहा है।
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के निर्देश और प्रशासन से फ्लाईऐश के परिवहन के लिए दी गई अनुमति में स्पष्ट किया गया है कि फ्लाईऐश का परिवहन विकल्प के तौर पर बल्कर जैसे बंद वाहनों में किया जाए। स्थाई परिवहन के लिए पाइप लाइन की व्यवस्था की जाए, लेकिन फ्लाईऐश के परिवहन में जारी निर्देशों व शर्तों को दरकिनार कर दिया गया है। पीपीजीसीएल में कार्यरत टाटा कंपनी के अंदर से फ्लाईऐश डैम से सडक़ मार्ग के जरिए डंपर व हाइवा जैसे खुले वाहनों में फ्लाईऐश का परिवहन किया जा रहा है। इसका खामियाजा सडक़ के किनारे बसे रहवासी, दुकानदार व दो पहिया वाहनों से चलने वाले लोग भुगत रहे हैं। फ्लाईऐश का परिवहन करने वाले वाहन गीली फ्लाईऐश को सडक़ पर बिखेरते हुए जाते हैं। गीली राख सूखने के बाद जरा सी हवा के चलने पर लोगों को सांसों में समा रही है। दुकानों में उडकऱ खाद्य सामग्री को दूषित करने सहित अन्य सामानों को खराब कर रही है। हैरत की बात यह है कि वस्तुस्थिति से वाकिफ अधिकारी कोई सख्त कदम उठाने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं।
शंकरगढ़ क्षेत्र के आस-पास के गांव में ही फ्लाईऐश की मनमानी तरीके से परिवहन और लोगों की आफत से अधिकारी वाकिफ हैं। अधिकारी हर रोज उसी रास्ते से कार्यालय पहुंचते हैं, जिस मार्ग से परिवहन हो रहा है और लोग प्रदूषण झेल रहे हैं। इसके बावजूद अधिकारी कार्रवाई की जरूरत नहीं समझ रहे है।एनजीटी का निर्देश है कि विद्युत उत्पादक कंपनियां फ्लाईऐश का अन्य उपयोग करें, लेकिन हकीकत में पीजीसीएल कंपनी में कार्यरत टाटा कंपनी के परियोजना द्वारा फ्लाईऐश का अन्य उपयोग नहीं के बराबर किया जा रहा है। जबकि रिहंद व सिंगरौली परियोजनाएं रेल मार्ग से फ्लाईऐश का परिवहन कर रही हैं।