राकेश केशरी
देखरेख के अभाव में अधिकांश पंचायत भवन खंडहर में तब्दील
कौशाम्बी। ग्रामीणों की सहूलियत के लिए शासन के निर्देश पर लगातार गांवों को हाइटेक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। गांवों में एक ही छत के नीचे से ग्रामीणों को सारी सुविधाएं मुहैया हो सके इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनाये गये हैं, पंचायत सहायक की नियुक्ति भी की जा चुकी है। पंचायत विभाग के जिम्मेदार कागजों में सब कुछ दुरुस्त बताकर अधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग है। कुछ ऐसा ही हाल नेवादा ब्लाक के पंचायत भवनों का है। देखरेख के अभाव में अधिकांश भवन जर्जर हो चुके हैं,कुछ भवनों में भूसा भरकर रखा गया है तो कहीं गोबर की ऊपलें पाथी जा रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद गांव कब तक हाइटेक बन सकेगा। बतां दें कि नेवादा विकास खंड में कुल 74 ग्राम पंचायतें हैं। पंचायत विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 47 गांवों के पंचायत भवन पूर्ण रूप से कंप्लीट हो चुके हैं। 17 गांवों के भवन जर्जर होकर ध्वस्तीकरण योग्य हैं। तीन गांवों के पंचायत भवनों पर पुलिस का कब्जा है। दो गांवों में भवन निर्माण के लिए राजस्व विभाग जमीन ही नहीं तलाश पा रहा है। दो गांवों के भवनों में विवाद के कारण कब्जा नहीं मिल पा रहा है।एक गांव का भवन अपूर्ण है व दो गांवों के भवनों पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर रखा है।इन आंकड़ों के अनुसार आज भी नेवादा के 27 ग्राम पंचायतें पंचायत विहीन हैं।
मवेशियों के लिए भूसा घर बना मकदूमपुर का पंचायत भवन
मकदूमपुर गांव में बना पंचायत भवन मवेशियों के लिए भूसा घर बन चुका है। वर्ष 2007-08 में लाखों की लागत से बने भवन की सभी खिड़कियां व दरवाजे गायब हो चुके हैं। पूरे परिसर में झाड़ियां उग चुकी हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पंचायत भवन जर्जर होने व सचिव व पंचायत सहायक के बैठने का स्थान निर्धारित नहीं होने से उन्हें आज भी जरूरी कागजात पाने के लिए ब्लाक व तहसील मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल वर्ष 2001-02 मे बने जैतपुर पूरेहजारी गांव का है, यहां बने पंचायत भवन में गौआश्रय स्थल में संरक्षित मवेशियों के लिए भूसा भरकर रखा गया है।
दो सालों से विवाद के पेंच में फंसा धारुपुर का पंचायत भवन
नेवादा ब्लाक के धारुपुर गांव में वर्ष 2020-21 में लाखों रुपये की लागत से पंचायत भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ। कुछ महीनों में ही भवन बनकर तैयार भी हो गया, लेकिन कुछ दीवारों में प्लास्टर,फर्श,रनिंग वाटर,टाइल्स,रंगाई पुताई आदि कार्य करने से पूर्व ही विवाद के पेंच में फंस गया। दो वर्षों बाद भी पंचायत भवन ग्राम सभा को हैंड ओवर नहीं हो सका।
पूरी तरह से जर्जर हो चुका है कूरा गांव का पंचायत भवन
कूरा गांव का पंचायत भवन वर्ष 2001-02 में बनाया गया है। लेकिन देखरेख के अभाव में पूरा पंचायत भवन जर्जर हो चुका है। भवन से सभी दरवाजे खिड़कियां गायब हो चुकी हैं। जगह-जगह दीवारों पर दरार भी आ चुकी है। कुछ ऐसा ही हाल जवई,बिगहरा उस्मानपुर, उमरवल,जरैनी आदि गांवों के पंचायत भवनों का भी है।सभी गांवों के भवन जर्जर होकर बदहाल हो चुके हैं।
गोबर की ऊपलें रखने का स्थान बना चिरारी का पंचायत भवन
चिरारी गांव में वर्ष 2007-08 में लाखों की लागत से निर्मित पंचायत भवन इन दिनों ग्रामीणों के लिए गोबर की ऊपलें रखने का स्थान बन चुका है। कुछ ग्रामीण भवन परिसर में ऊपलें पाथ रहे हैं तो कुछ ने कमरों में लकड़ी आदि भरकर कब्जा कर रखा है।
सिर्फ तीन फिट की दीवारों पर बना है सुरसेनी गांव का पंचायत भवन
नेवादा ब्लाक के सुरसेनी गांव के पंचायत भवन का तो अजब ही हाल है। पंचायत विभाग के कागजों में तो भवन बनकर तैयार है लेकिन मौके पर नींव के अलावा सिर्फ तीन चार फिट की दीवारें ही बची हैं। ग्रामीणों के मुताबिक वर्ष 2009-10 तत्कालीन सचिव व प्रधान ने पंचायत भवन के निर्माण के नाम पर आवंटित धनराशि को आधा अधूरी दीवारें खड़ी कर बंदरबाट कर लिया है। कागजों में तो पंचायत भवन तैयार है लेकिन मौके पर सिर्फ तीन चार फिट की दीवारें ही खड़ी की गई थी। मामले की शिकायत एक अक्टूबर 2021 को वर्तमान प्रधानपति सुधीर कुमार शुक्ल ने जनसुनवाई पोर्टल पर भी किया है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा 28 अक्टूबर को 2021 को तत्कालीन सचिव व प्रधान से 30 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने का आदेश भी जारी किया गया था लेकिन आज तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
क्या बोले जिम्मेदार
बीडीओ, नेवादा का कहना है कि ब्लाक क्षेत्र के सभी गांवों के पंचायत भवनों को जल्द तैयार करने के आदेश संबंधित सचिवों व प्रधानों को दिये गये हैं।कुछ गांवों के पंचायत भवनों में नियमित कामकाज भी होने लगा है। जो भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं उनके ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट जिले पर भेजी गई है।जल्द ही सभी भवनों को दुरुस्त करवाकर कामकाज शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।