देश

national

केंद्रीय कारागार नैनी में आयोजित हुआ, मानसिक स्वास्थ्य व तनाव प्रबंधन

Sunday, January 22, 2023

/ by Today Warta

 



राकेश केशरी

हर महीने दो दिन मनोवैज्ञानिकों द्वारा बंदियों की चलेगी नशा मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्य पर  ग्रुप.थेरेपी

प्रयागराज/कौशाम्बी। जनपद में लगातार मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विभिन स्तरपर जागरूकता कार्यक्रम किये जाते हैं इसी क्रम में  जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा डॉ0 राजेश कुमार नोडल अधिकारी एनसीडी सेल प्रयागराज के नेतृत्व में केंद्रीय कारागारए नैनी में एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता एवं तनाव प्रबंधन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय कारागार नैनी के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों में डॉ0 वेद प्रकाश जेल चिकित्सा अधिकारी शशिकांत सिंह,वरिष्ठ जेल अधीक्षक  एवं आरके सिंह,उप जेल अधीक्षक द्वारा मरीजों के हित में मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ एवं संयमित रखने हेतु किया गया। कार्यशाला में नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ0 ईशान्या राज ने बंदियों को बताया गया कि जिंदगी में हमें शीशे की गेंद बनते हुए ठोकर खाकर चूर चूर होकर बिखरना नहीं है बल्कि रबड़ का गेंद बनकर ठोकर लगने पर बाउंसबैक करना सीखना बहुत जरूरी है, इसी बाउंसबैक में मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों जैसेए मानसिक परेशानियों को पहचानना, स्वीकारना और सही उपचार के लिए आगे आना, नशा मुक्त जीवन यापन करना आदि हमारी जिंदगी में विशेष महत्व रखते हैं। उन्होंने कहा कि हर महीने दो दिन बंदियों के साथ नशा मुक्ति और मानसिक स्वास्थ्यश् पर ग्रुप.थेरेपी से बेहतर परिणाम मिल सकेंगे। मनोचिकित्सक डॉक्टर राकेश कुमार पासवान द्वारा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों मैं दवाइयों की अहम भूमिका पर चर्चा की गई तथा बताया गया कि दवाइयों से मानसिक परेशानी से ग्रसित व्यक्ति जब ठीक होता है तो दवाइयां छोड़ देता है, जिसके कारण उसके अंदर लक्षण दुबारा से जन्म लेते हैं और फिर से वह मानसिक परेशानी का शिकार होने लगता है इसीलिए दवाइयां भी मानसिक परेशानी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। डॉ वेद प्रकाश द्वारा बताया गया कि किस तरीके से शारीरिक परेशानियां और मानसिक परेशानियां आपस में संबंधित होती है और व्यक्ति के पूर्ण विकास में सही समय पर इलाज ना करने से बाधा उत्पन्न करती है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशीकांत सिंह ने  बंदियों को बताया गया कि कैसे तनाव प्रबंधन में  जैसे शेर को आता देखकर हिरण अगर  घबरा जाए तो  फिर शेर उसके ऊपर हावी हो जाएगा लेकिन अगर हिरण अपनी सूझबूझ से अपनी योग्यता और क्षमताओं से डटकर शेर का मुकाबला करता है तो हो सकता है हिरण शेर का मुकाबला करने में सफलता प्राप्त कर ले और इस विपरीत परिस्थिति से वह सफलतापूर्वक बाहर आ जाएस यानी तनाव से  भागकर नहीं अथवा लड़कर तनाव पर काबू पाना हम सब के लिए जरूरी है। आरके सिंह उप जेल अधीक्षक ने बताया कि हर वह बंदी मानसिक रूप से परेशान है जो यहां बंद है इसीलिए मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को समझते हुए उस पर काम करना हम सबके लिए बहुत जरूरी है, कार्यशाला में शैलेश कुमार एसाइकेट्रिक नर्स,अंकित द्विवेदी मनोवैज्ञानिक काउंसलर मौजूद रहे।


Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'