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किसानों की फसल के दुश्मन बने छुट्टा मवेशी

Saturday, January 21, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

कौशाम्बी। का हो काका, अबई तक त घडरोजई उत्पात मचाए रहेन,अब त गाय,भईस अउर बछवन से फ सल बचाउब आफ त होई गवा बा। चना,मटर क त बचबई मुश्किल बा। केतना राखा जाइ, सब खाई जात हएन। नीलगायों के साथ छुट्टा मवेशियों द्वारा फसल को किए जा रहे नुकसान को लेकर खेत व खलिहानों में पहुंचे किसानों के बीच कुछ इसी तरह की चर्चा.परिचर्चा छाई रहती है। कारण है कि छुट्टा मवेशियों के आतंक से परेशान किसानों के लिए फसल बचाना मुश्किल हो उठा है। गोवंश काटने या फिर अवैध बूचडखानों पर लगे प्रतिबंध के बाद छुट्टा मवेशियों के लिए बनाये गये गोशाला के प्रति किसानों में असंतोष देखा जा रहा है। देखा जाय तो इन दिनों गांवों में छुट्टा मवेशियों की बाढ़ आ चुकी है। किसी गांव का कोई मुहल्ला ऐसा नहीं दिखाई पड़ता जहां चार.छह छुट्टा मवेशी टहलते न दिख रहे हों। जो महंगी लागत लगाकर तैयार की जा रही किसानों की फसल के लिए किसी दुश्मन से कम नहीं साबित हो रहे हैं। हालांकि गेहूं की फसल बहुतायत में बोए जाने के चलते किसान उसका नुकसान तो सह लेते हैं लेकिन दलहन. तिलहन व सब्जियों आदि की फसल कम होने से उसका नुकसान किसानों के लिए असहनीय हो जा रहा है। ऐसे में किसान दलहन.तिलहन फसल की बोआई करने से कतराने लगे हैं।

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दुग्ध उत्पादन बंद होते ही छोड़ दिए जा रहे मवेशी

दुग्ध उत्पादन बंद होते ही पशुपालक पशुओं को रखना नहीं चाह रहे हैं। विशेषकर बछड़े को तो जैसे ही गाय ने दूध देना छोड़ा लोग इधर.उधर कहीं ले जाकर बछड़े को छोड़ दे रहे हैं। बूचडखानों पर लगे प्रतिबंध के बाद कमोवेश यही दशा अब महिषवंशीय,भैंस.पड़वा, की भी होने लगी है। ऐसी भैंस जो चार छह बच्चे दे चुकी है व पड़वा तक को लोग नहीं रखना चाह रहे हैं। वह मौका देख उसे यहां.वहां ले जाकर छोड़ दे रहे हैं, जो किसानों की फसल के दुश्मन बन रहे हैं। किसानों का कहना है कि छुट्टा मवेशियों के लिए शासन को गौशालाओं में ठोस व्यवस्था करनी चाहिए।



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