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किसानों पर भारी पड़ रही रात में खेत की रखवाली

Tuesday, January 3, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

कौशाम्बी। रात का न्यूनतम तापमान 3 और 4 डिग्री के आसपास रहता है, ऐसे में हाथों में लाठी व चार्ट लेकर खेतों में पहरा देना किसानों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। खेत पर ही झोपड़ी बनाकर फसलों की रखवाली करना मजबूरी बना हुआ है। अन्ना मवेशियों का झुंड खेतों के आसपास ही मंडराता रहता है, किसान की जरा सी चूक उसकी पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है। सिराथू तहसील के तरसौरा, कल्यानपुर, चकिया, अनेठा, बम्बूपुर, रामसहायपुर, भइसहापर, उदिहिन आदि गांवों में अन्ना मवेशियों की भरमार है। क्षेत्र में गोशालाएं तो हैं पर उनकी क्षमता इतनी नहीं है कि सभी मवेशियों को रखा जा सके। लिहाजा किसान को भी अपनी मटर, चना,गेहू,आलू आदि की फसलों को बचाने के लिए पूरी-पूरी रात जागकर खेतों में पहरा देना पड़ रहा है। पहरा देने वाले अधिकांश किसानों का कहना है कि सर्दी लगने से उनका स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है, फिर भी परिवार पालने के लिए पहरे के अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं है। डडैचा के किसान रामबहादुर मौर्या का कहना है कि दिन में परिवार के लोग तो रात को उसे पहरा देना पड़ता है। बीच में एक दो बार तबियत भी बिगड़ी तो दवा लेकर काम चला लिया, आखिर मवेशियों से फसल भी तो बचानी है। मंझनपुर के अंम्बावा पश्चिम के किसान रामचन्द्र बोले, गोशालाएं मवेशियों के आगे छोटी पड़ गई हैं, जिस कारण जानवर खेतों की ओर दौड़ते हैं। उनसे फसल बचाने के लिए रजाई गद्दे लेकर खेत में बनी झोपड़ी पर लेटना पड़ता है। उदिहिन के किसान हरीओम पटेंल कहते हैं कि सर्द रातों में पहरा देना वाकई कष्टकारी है, किया भी क्या जा सकता है। खेत न ताके तो फसल भी हाथ न लगेगी। हालांकि तबियत बिगड़ती है तो घर बैठ जाते हैं, फिर परिवार का कोई दूसरा सदस्य आ जाता है। बतां दें कि पिछले पंद्रह दिनों में खेतों पर ही सर्दी लगने से एक किसान को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है। जिला अस्पताल के सीएमएस डा0 दीपक सेठ का कहना है कि किसान सर्दी को देखते हुए पहरे के वक्त न सिर्फ गर्म कपड़े व कंबल जरूर रखे, बल्कि आग जलाकर भी बैठें। सीने में दर्द, खासी, बुखार हो तो नजदीक के सीएचसी, पीएचसी जाकर डॉक्टरों की सलाह भी लेते रहे।

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