मोहम्मद जमाल
उन्नाव। आवास योजना के 21 लाभार्थी परिवारों ने खुद को अपात्र घोसित होने की सूचना मिलते ही जिला अधिकारी को पत्र देकर न्याय की गुहार खबर उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव की बहुचर्चित विकास खंड मियागंज की ग्राम पंचायत मलहौली सरदार नगर का है। ग्राम पंचायत के करीब 21 आवास के लाभार्थियों को पहले पात्र दिखाकर उनके नाम मुख्यमंत्री आवास सूची में दर्ज कराए गए थे आवास के लाभार्थियों का सपना साकार होने वाला था लेकिन उनके सर पर छत आने से पहले ही ग्रहण लग गया। ग्राम पंचायत मलहौली सरदार में आवास का लाभ पाने वाले रूबी पत्नी रसीदे, मनोहर, रजिया कमला रमेश सहित दर्जनों लोगों ने पूर्व के ग्राम प्रधान पर सत्ता के बल पर विकास खण्ड मियागंज के खण्ड विकास अधिजारी विनोद मणि त्रिपाठी ने ado isb, जेई mi व प्रभारी सहायक विकास अधिकारी कृषि की तीन सदस्यीय जांच टीम बनवाकर 21 लाभर्थियों में से 20 को अपात्र घोसित कराते हुए जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दी गई। लाभर्थियों को जैसे ही खुद के आशियाना बनने से पहले उजड़ने की भनक लगी तो मौजूदा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सतीश यादव ने सभी लाभर्थियों को ले जाकर जिलाधिकारी की चौखट पर खड़ा कर दिया था। वही लाभर्थियों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हम लोगो को कुछ नही बताया गया और पूर्व ग्राम प्रधान ने हम सबके आवासों कालोनियों को कटवा दिया है। जब कोई अधिकारी जांच करने आता था तो हम लोगों से दस हजार व पंद्रह हजार रुपए की मांग करता था पैसे न दे पाने की वजह से हमको अपात्र घोसित करा दिया गया जबकि आवास के लाभार्थियों में ज्यादातर लोग फुस की झोपड़ी व कच्चे टूटे फूटे हुए मकान के नीचे अपना जीवन यापन कर रहे है। जब इस पूरे मामले को लेकर मियागंज विकास खण्ड के खण्ड विकास अधिकारी विनोद मणि त्रिपाठी से बात की गई तो पूरा ठीकरा तीन सदस्यीय जांच टीम पर डालते हुए मीडिया के कैमरे पर कुछ भी बोलने से साफ साफ बचते हुए नजर आए। अब सवाल यह खड़ा होता है कि अगर आवास के 21 में से 20 लाभार्थी अपात्र थे तो इनको पत्ररता की सूचि में क्यू और किसने रखा था। सालों से इनको मुख्यमंत्री आवास या प्रधानमंत्री आवास का प्रलोभन देकर क्या इनके वोटों की सिर्फ राजनीति की जा रही थी।