राकेश केशरी
लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर
कौशाम्बी। विकासखंड कौशाम्बी के बेरौंचा गांव में सार्वजनिक शौचालय को बने लगभग 2 वर्ष बीत चुके हैं। उसके बाद भी शौचालय अधूरे हैं। अभी तक शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं कराई गई लोग खुले में शौच जाने पर मजबूर है। केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत लगभग सभी गांवों में शौचालयों का निर्माण करवाया गया है। शौचालय निर्माण में पंचायतें ओडीएफ भी हुई थी। सरकार की ओर से शौचालय निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। सरकार की इस योजना को पूरी करने के लिए अधिकारियों ने सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन शौचालय में उपयोग होने वाले पानी और लाइट की व्यवस्था नहीं की, शौचालयों में पानी की टंकी और टोंटी शो पीस में लगा दी गई है। लेकिन उसमें से पानी नहीं निकल रहा है। रंग रोगन करके शौचालयों को चमका दिया गया है जिससे देखने में ऐसा लगे कि इसमें कोई अव्यवस्था नहीं है सब ठीक ठाक है। जबकि हकीकत इससे परे है ज्यादातर शौचालय सुविधा के अभाव में बंद हैं। कई शौचालय आज भी अधूरे पड़े हैं। इसके चलते शौचालय नकारा साबित हो रहे हैं। अगर ये कहा जाए कि ये अधूरे शौचालय स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ा रहे हैं तो गलत नहीं होगा। भले ही रिकॉर्ड में गांव शत प्रतिशत ओडीएफ से मुक्त हो गए हो, लेकिन सच्चाई कुछ और बयान करती है। आज भी गांवों के लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में सरकार की इस योजना में करोड़ों की राशि खर्च हुई है। उस पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। ग्रामीण इलाकों में अधिकांश परिवारों में अनुदान लेकर शौचालय का निर्माण हुआ है। वहीं कुछ गांवो में सामूहिक शौचालयों का भी निर्माण हुआ था। लेकिन शौचालय में पानी की किल्लत होने से शौचालयों का उपयोग नही हो पा रहा है और शौचालय नकारा साबित हो रहे हैं। अमर उजाला की टीम शौचालयों की जब जांच करने बेरौंचा गई तो गावों में सामने आया कि शौचालय तो बना दिया गया है। लेकिन उसमें पानी तक की सुविधा नहीं है ऐसे में लोग शौचालय उपयोग कैसे करें। बेरौंचा गांव की केयरटेकर रानी देवी ने बताया कि पानी की व्यवस्था ना होने से शौचालय का उपयोग नहीं हो रहा है। खंड विकास अधिकारी कौशाम्ंबी का कहना है कि ये मामला हमारी जानकारी में नहीं है। अगर ऐसा है तो गलत है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।