इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
शाही पंचकल्याणक महोत्सव में कैलाश पर्वत से मोक्ष पधारे आदिनाथ भगवान, हुआ विश्व शान्ति महायज्ञ
ललितपुर। शाही पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथादिक एकादश रथोत्सव विश्व शान्ति महायज्ञ निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज के ससंघ सानिध्य में भव्यता पूर्वक पूर्ण हुआ जिसमें भगवान आदिनाथ को कैलाश पर्वत से मोक्ष गमन का दृश्य हजारों लोगों ने अयोध्यापुरी में देखा और श्रीजी के रथेत्सव में श्रद्धा भक्ति पूर्वक सम्मलित होकर पुण्र्याजन किया। सुबह श्रीजी का अभिषेक शान्तिधारा के उपरान्त नित्यमह पूजन हुई। वेदी पर ही कैलाश पर्वत की बडी सुन्दर रचना की गई जिस पर्वत पर आदिनाथ जी ने बैठ कर ध्यानरूढ होकर सिद्धत्व प्राप्त किया कैलाश पर्वत की रचना की गई। मुनि सुधासागर महाराज ने उपस्थित जनसमुदाय को ध्यान साधना कराई और क्षणभर में ही भगवान आदिनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हो गया इस दृश्य को देखने अपार जनसमूह आतुर था। मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने कहा पुण्य के अभाव में कोई काम नहीं आता। जिनके आगे पीछे इन्द्र थे जन्म पर रत्नवृष्टि हई सारा वैभव था जव पुण्य में हीनता आई वैराग्य हुआ और कैलाश पर्वत से मोाक्ष गए और कपूर की भांति शरीर विलीन हो गया प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र.प्रदीप भैया सुयश ने भगवान आदिनाथ के मोक्ष के पश्चात कैलाश पर्वत पर अग्निकुमार इन्द्रों द्वारा हवन किया। इसके उपरान्त विश्व शांति महायज्ञ में इन्द्र इन्द्राणियों ने पूर्ण आहुति दी। मुनिश्री सुधासागर जी ने कहा पंचकल्याणक महोत्सव में पाषाण से परमात्मा बनाने की प्रक्रिया होती है। तीर्थंकर आदिनाथ ने कर्मों को नाश कर मोक्ष पद को प्राप्त किया और हमें परमात्मा बनने का मार्ग दिखाया। पंचकल्याण को अपने आचरण में लाने में ही कल्याण है। जिस तरह नशा करने से अघाते नहीं हैं, पाप करने से तृप्ति नहीं होती उसी तरह धर्म जितना करोगे बढेगा। मध्यान्ह में गजरथ परिक्रमा का शुभारम्भ अयोध्यापुरी से हुई जिसमें आगे जैन आर्मी के अधिकारी ध्वज पताका लिए हुए अनुशासित ढंग से चल रहे थे उनके पीछे वैन्ड की आकर्षक प्रस्तुति के साथ प्रत्येन्द्र, सत्येन्द्र इन्द्र इन्द्राणियों का समूह कही ध्वज पताकाए लिए हुए तो कहीं कमलों को हाथ में लेकर चल रहा था। भव्य शोभायात्रा में सांगली महाराष्ट्र का दिव्य घोष, वीर व्यायामशाला, स्याद्वाद वर्धमान सेवा संघ, आदिनाथ सेवा संध, बाहूबली सेवा संघ का दिव्य घोष अपने स्वयं सेवकों के साथ प्रदर्शन करते हुए चल रहे थे एकादश रथों के समूह के आगे तीन हाथियों पर पुण्र्याजक परिवार हाथों में ध्वज पताकाए लिए हुए थे उनके पीछे गजरथ के साथ अतिशय क्षेत्र पपौराजी, द्रोणगिरीजी, आहारजी, जैन समाज अशोकनगर, जैन समाज रहली, जैन समाज वाडी और ललितपुर का रजत रथ आकर्षण का केन्द्र रहे। श्रीजी की रथयात्रा में ब्रहमचारी भैया वहिनों के आगे निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर, मुनि पूज्य सागर महाराज, ऐलक धैर्यसागर, क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज उपस्थित धर्मालुओं को आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे। गजरथ की परिक्रमाए धार्मिक रीतिरिवाज से जव सम्पन्न हो रही थी उनका आंखों देखाहाल जैन पंचायत के अध्यक्ष इंजी.अनिल जैन अंचल स्वयं कर रहे थे। परिक्रमा के उपरान्त श्रीजी को स्वयंसेवको के दिव्यघोषों के साथ प्रतिष्ठा मंच पर विराजित किया, जहां श्रीजी का अभिषेक मुनि सुधासागर महाराज के सानिध्य में हुआ जिसमें उन्होने सभी को आर्शीवाद प्रदान किया। गजरथ महोत्सव की व्यवस्थाओं को मंदिर प्रबंधक राजेन्द्र जैन थनवारा, मोदी पंकज जैन, धार्मिक आयोजन संयोजक मनोज जैन के साथ मेला कैप्टन मेला कैप्टन नरेन्द्र कडंकी, कैप्टन राजकुमार जैन, पार्षद महेन्द्र सिंघई, वैभव जैन टिन्ना, स्वदेश गोयल संयोजित कर रहे थे। इस दौरान सदर विधायक रामरतन कुशवाहा, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे, जिलाध्यक्ष राजकुमार जैन, पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका परिषद सुभाष जायसवाल, डा.राजकुमार जैन, डा.दीपक चौबे, निखिल तिवारी, दिनेश गोस्वामी, अजय जैन साइकिल, देवेन्द्र गुरू के अलावा अनेकों लोग मौजूद रहे।
एकादश रथोत्सव कर जैन समाज में ललितपुर ने बनाया रिकार्ड
मुनि सुधासागर महाराज के सानिध्य में ललितपुर दिगम्बर जैन पंचायत ने एकादश रथोत्सव का आयोजन कर जैन समाज में एक रिकार्ड कायम किया जिसमें पांच हजार से अधिक इन्द्र इन्द्रिाणियों ने भक्ति की गौरतलव रहे मुनि श्री के सानिध्य में 1992 में नवगजरथ का आयोजन भव्यता से हुआ था जिसकी यादें लोगों के मनो मस्तिष्क पर बनी हुई थी। मीडिया प्रभारी अक्षय अलया के अनुसार मुनिश्री के वर्ष 2022 के चातुर्मास में अभिनंदनोदय तीर्थ का अतिभव्य निर्माण हुआ जिसमें त्रिकाल चौबीसी, रजमीय चौबीसी, नन्दीश्वर सहस्त्रकूट गुफा कल्पवृक्ष मदिर सहित ज्ञानोदय तीर्थ में मुनिसुव्रतनाथ मंदिर एवं श्री पाश्र्वनाथ मंदिर का निर्माण हुआ जिनके लिए 1375 प्रतिमाओं की स्थापना की गई।