लकड़ी माफिया द्वारा हजारों हरे पेड़ काटने के बाद भी नहीं हो सकी कार्रवाई
राकेश केशरी
कौशाम्बी। पेशेवर लकड़ी माफियाओं पर पुलिस से लेकर वन विभाग तक कार्रवाई करते नहीं दिख रहे हैं,जिससे हरियाली को गहरा संकट दिखाई पड़ रहा है। एक तरफ सूबे की सरकार धरती को हरा-भरा करने के लिए वृहद पौधारोपण का अभियान चला रही है,तो दूसरी तरफ लकड़ी माफिया विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ से धरती को वीरान करने में लगे हुए हैं। वही पेशेवर लकड़ी माफियाओं पर कठोर कार्रवाई कर उनकी कमर तोड़ने का प्रयास थाना पुलिस से लेकर वन विभाग कई वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं कर सका है। जिससे पेशेवर लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और प्रतिदिन दर्जनों मजदूर को लेकर इलेक्ट्रॉनिक आरा मशीन के साथ वह हरे फलदार पेड़ों को काटने पहुंच जाते हैं और हरे फलदार पेड़ को काटकर उनकी लकड़ियों को ट्रैक्टर में लादकर आरा मशीनों तक पहुंचा देते हैं। दो दिन पूर्व मंझनपुर रेंज क्षेत्र के करारी थाना अंतर्गत दरियापुर गांव के एक पुरवा में आम और महुआ के आठ हरे फलदार पेड़ को पेट्रोल इलेक्ट्रॉनिक आरा मशीन से काटकर टिर्रा नाम का लकड़ी माफिया उठा ले जाने में कामयाब हो गया है। बताया जाता है कि 12 ट्रैक्टर से लकड़ियाँ ले जाई गई है लेकिन उसके बाद भी वन विभाग से लेकर पुलिस विभाग तक हरे पेड़ के कटान और उनके परिवहन की जानकारी नहीं लग सकी है,इससे समझा जा सकता है कि हरे पेड़ों के कटान को रोकने के प्रति पुलिस से लेकर वन विभाग के अधिकारी कितने गंभीर हैं। दरियापुर गांव के पुरवा में पेड़ काटने का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ है कि मंझनपुर रेंज क्षेत्र के करारी थाना अंतर्गत रिजवी कॉलेज के बगल में फिर महुआ और आम के दस हरे विशाल फलदार पेड़ को टिर्रा लकड़ी माफिया ने मजदूरों को लेकर इलेक्ट्रॉनिक आरा मशीन से काटना शुरू कर दिया है। शनिवार के दिन सुबह से ही दर्जनों मजदूरों को लेकर इलेक्ट्रॉनिक पेट्रोलिंग आरा मशीन के साथ रिजवी कॉलेज के पास हरे पेड़ को काटने में टिर्रा लकड़ी माफिया पूरे दिन लगा रहा। बताया जाता है कि रिजवी कॉलेज के बगल से भी लगभग 15 ट्रेक्टर हरी लकड़ियों को उठा ले जाने में लकड़ी माफिया कामयाब हो गए है,इसके पहले भी करारी थाना से चैराहे की ओर कुछ दूरी पर आम महुआ शीशम की बाग से 2 दर्जन से अधिक हरे फलदार पेड़ दिनदहाड़े इलेक्ट्रॉनिक आरा मशीन से काट दिए गए थे,शिकायत के बाद भी लकड़ियां चली गई पुलिस से लेकर वन विभाग ने टिर्रा नामक लकड़ी माफिया पर कार्यवाही नहीं की है। सवाल उठता है कि टिर्रा लकड़ी माफिया से थाना पुलिस और वन विभाग के क्या रिश्ते हैं,यह जांच का विषय है और टिर्रा नामक लकड़ी माफिया के कारनामों की यदि आला अधिकारियों ने जांच कराई तो हरे फलदार पेड़ के काटने में पुलिस और वन विभाग की संलिप्तता उजागर होना तय है लेकिन क्या हरियाली नष्ट करने वाले लकड़ी माफिया के साथ साठगांठ उजागर कर लकड़ी माफिया पर मुकदमा दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी कराकर हरी लकड़ियों को बरामद कर वन विभाग के कब्जे में वापस लाए जाने में विभाग के अधिकारी सफल हो पाएंगे या फिर सब कुछ सांठगांठ से विभाग में चलता रहेगा यदि प्रकरण में जांच हुई तो लकड़ी माफिया से सांठगांठ करने वाले विभीषण का भी खुलासा होना तय है।