देश

national

जयंती विशेष संत रविदास: प्रभुजी तुम चन्दन-हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी : रैदास

Saturday, February 4, 2023

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र

ललितपुर। संत रविदास जयंती पर आयोजित एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. भगवत नारायण शर्मा ने कहा कि सदियों से ऊँच -नीच की सामंती शिला के नीचे जनसाधारण की सहृदयता का जो जल सिमट रहा था, वह संत कवियों की वाणी में अचानक फूट पडा तथा उसने सम्पूर्ण देश को रससिक्त कर दिया। इस भक्ति सागर की कबीर से पूर्व सबसे बड़ी हिलोर संत रविदास थे। जैसे सूखे रेगिस्तान के नीचे जल का स्रोत बहता है, वैसे ही मर्मी रैदास जैसे संतों की वाणी का स्रोत समाज की अगोचर सतह पर पिछले 600 सालों से अमृत धारा की तरह प्रवाहमान है। भारत की महान जनता ऐसी प्रेमिल वाणी को सुनती हुई एक न एक दिन अन्याय, उत्पीडऩ और विषमता की आसन्न काली रात को काट देगी ।मानव एकता और भाईचारे का वह प्रभात अवश्य उदित होगा जिसका सपना रैदास भगत ने अपने बेगमपुरा सहर को नाउ, दुख अंदोह नाहिं तेहि ठाओं भजन में चित्रित किया है। मेरे बेगमपुरा गांव में न कोई दुख है, न कोई चिन्ता, न घबराहट है, न टैक्स लगता है, वहाँ जरा भी ऊँच-नीच नहीं,  सुन्दर आवोहवा है। जहाँ अपराध, दुर्गति, पतन बिल्कुल नहीं। संत रविदास ऐसे ही बेगम यानि गमरहित समाज के पुनर्निर्माण और विकास के प्रबल पक्षधर थे। संत रविदास ने कहा है कि वहाँ एक ऐसा आदर्श समाज है जिसमें दुख पीडा, गरीबी, अमीरी, ऊँच-नीच, जात-पांत आदि का कोई भेदभाव नही है। सभी समान है। यहाँ सरहद, सरकार और रखवालों की जरुरत नही पडती। यहाँ दुर्घटनाएं नहीं घटती। उनके कर्ममय जीवन में सत्य की सुगंध थी। उनकी प्रेरक वाणी सघन अंधकार के मध्य अभी भी धु्रवतारा बनकर मार्गदर्शन कर रही है। संत रविदास की अमृतवाणी कभी कालातीत नहीं हो सकती, क्योंकि उनका कर्ममय जीवन सत्य की सुगन्ध से सुवासित है। उनको मनुष्योचित जीवन को स्वाभिमानपूर्वक जीने का महान संदेशवाहक कहा गया है। संत रविदास की वाणी को बेजुबानों की शक्तिशाली आवाज कहा गया है।

Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'