मोहम्मद जमाल
कृष्ण जन्म और नंदोत्सव में आनंदित हुए श्रोता
विशेष रूप से सजाया गया कथा परिसर
उन्नाव। मुख्य यजमान कमलेश पांडेय व श्रीमती मंजू पांडेय और आयोजक यजमान राहुल पांडेय व सुधांशु पांडेय द्वारा श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का आयोजन शेखपुर स्थित पांडेय निवास परिसर में कराया गया है। अनंत श्री विभूषित कनिष्ठ जगत गुरु शंकराचार्य आत्मानंद सरस्वती जी महाराज ने दूसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन की बाललीलाओं का बड़ा ही मनोरम दर्शन कराया। ऊखल बंधन की कथा में मईया यशोदा को रिझाते हुए कृष्ण कहते हैं मईया मोरी मैं नहीं माखन खायो। इसके बाद कालिया नाग के दम्भ दमन की रोमांचकारी कथा हुई। गोवर्धन पूजा की कथा विस्तार से हुई।श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की उपज होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहँकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए। लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें। इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं। ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहँकारवश भूल कर बैठा। इस प्रकार इंद्र का अहंकार दमन हुआ। पांडेय परिवार सहित आरती व पूजन में कथा सूत्रधार भैरव धाम गंगाघाट के संस्थापक पंडित अजय द्विवेदी, कथा समन्वयक व मीडिया प्रमुख मनीष सिंह सेंगर, कथा सेवा मंडल से दुर्गेश दीक्षित, राहुल कश्यप, अभिषेक शुक्ला, रोहित अवस्थी, विघ्नेश पांडेय, विजय तिवारी, अधिकार तिवारी, पार्थ पांडेय, राहुल वर्मा आदि ने भाग लेकर महाराजश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।