कमल सिंह
बांदा नई दिल्ली के इग्नू के प्रोफेसर डा.सविता सिंह को उनके कविता संग्रह ह्यखोई चीजों का शोकह्ण पर सम्मानित किया गया। डा.सिंह ने कहा कि किसी स्त्री पर दुराग्रह या प्रताड़ना को अपने जीवन में स्थाना देने वाला प्रगतिशील नहीं हो सकता। दूसरे सत्र में डा.रामविलास शर्मा आलोचना पुरस्कार विजय बहादुर सिंह (अंबेडर नगर) को मिला।
रविवार को पीली कोठी स्थित एक होटल सभागार में समारोह हुआ। आयोजन केदार स्मृति न्यास, प्रगतिशील लेखक संघ और रजा फाउंडेशन द्वारा किया गया। कवि केदार बाबू के चित्र पर माल्यार्पण हुआ। श्रद्धा निगम ने बाबू केदारनाथ की कविताओं को संगीत व नृत्य के माध्यम से पेश किया।
अध्यक्षता कर रहे आचार्य बल्लभ त्रिपाठी ने बताया कि डा.सविता सिंह बिहार के आटा के रहने वाले हैं। जबकि आलोचक विजय बहादुर सिंह ने सम-सामयिकता से अलग आधुनिकता की परंपरा से रूबरू कराया। विजय बहादुर सिंह ने कहा कि जो आलोचना की परंपरा चल रही है उसे दोहराना नहीं चाहिए। आलोचक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। समारोह को आशुतोष कुमार, आलोक कवि सपना सिंह, शिवपाल सिंह, राकेश रेणु, डा.शबाना रफीक, विद्याधर शुक्ल आदि ने भी संबोधित किया।
डा.शशि भूषण मिश्र, अनामिका, श्रुति, सपना, आद्या, शैलजा, राशिका, स्वप्निल, सुप्रिया आदि ने कविताएं पेश कीं। रामऔतार साहू, महेंद्र पाल, सुनील, उमा पटेल, विवेक चतुर्वेदी, राकेश अग्रवाल, आनंद किशोरलाल आदि उपस्थित रहे। संचालन नरेंद्र पुंडरीक ने किया।