प्रयागराज। अतीक-अशरफ हत्याकांड में सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल है कि पुलिस की दो गाड़ियों में अतीक-अशरफ और 21 पुलिसकर्मियों समेत 23 लोग आए कैसे? अतीक-अशरफ हत्याकांड की एफआईआर लिखाने वाले धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार मौर्य ही इसके मुख्य गवाह हैं। माफिया अतीक-अशरफ हत्याकांड को 14 दिन बीत चुके हैं, लेकिन इसकी गुत्थी अब भी अनसुलझी ही है। तमाम कहानियों के बीच ताजा सवाल धूमनगंज पुलिस की कार्यशैली को लेकर खड़ा हुआ है। पुलिस ने दस्तावेजों में दर्ज किया है कि माफिया भाइयों को कॉल्विन अस्पताल ले जाते वक्त दो गाड़ियों का इस्तेमाल हुआ। सवाल है कि पुलिस की दो गाड़ियों में अतीक-अशरफ और 21 पुलिसकर्मियों समेत 23 लोग आए कैसे? अतीक-अशरफ हत्याकांड की एफआईआर लिखाने वाले धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश कुमार मौर्य ही इसके मुख्य गवाह हैं।
पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, घटना के संबंध में मौर्य ने बयान दर्ज कराया है कि घटना वाले दिन यानी 15 अप्रैल को अतीक-अशरफ को मेडिकल चेकअप के लिए कॉल्विन अस्पताल ले जाने के दौरान धूमनगंज थाने के 21 पुलिसकर्मी मौजूद थे। इनमें उनके समेत सात दरोगा व 13 सिपाही-दीवान शामिल थे। उक्त पुलिसकर्मी दो वाहनों से अस्पताल पहुंचे थे। इनमें एक बोलेरो और एक सरकारी जीप थी। सवाल यह उठता है कि आखिर दो वाहनों में अतीक-अशरफ समेत 23 लोग सवार कैसे हुए होंगे? जानकार बताते हैं कि पुलिस जीप हो या बोलेरो अधिकतम 10-10 लोग ही एकसाथ बैठ सकते हैं। इनमें दो आगे की सीट पर, चार बीच वाली सीट पर और अधिकतम चार लोग पीछे की सीट पर बैठ सकते हैं। लिहाजा, थानेदार की कहानी कठघरे में है।
थाने से अस्पताल महज 16 मिनट में?
पुलिस की कहानी में दूसरा झोल समय को लेकर भी है। कहा गया है कि पुलिस रात 10:19 बजे धूमनगंज थाने से रवाना हुई और पांच किमी चलकर 10:35 बजे कॉल्विन अस्पताल पहुंच गई। जाम वाले रास्ते और भीड़भाड़ के बावजूद रास्ते में सिर्फ 16 मिनट लगना भी सवालों में है।