इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक ने जारी किए निर्देश
व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर देता मधुमेह
ललितपुर। डायबिटीज या शुगर की बीमारी शरीर में सीरियल किलर के रूप में कार्य करती हैं, अनियमित शुगर के कारण शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। एक निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत शुगर का इलाज बहुत जरूरी है। इसी के चलते राज्य स्तर पर एक प्रोटोकॉल बनाया गया है। यह कहना है सीएमओ डॉ जे एस बक्शी का।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रोटोकॉल के अभाव में चिकित्सक के पास इलाज की स्पष्ट गाइड लाइन नहीं थी। जिस कारण चिकित्सक ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर डायबिटीज मरीजों का उपचार करते थे। अब नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डाइबिटीज, कार्डियोवेस्क्यूलर डिजीज एवं स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तर पर विशेषज्ञों द्वारा डायबिटीज (टाइप 2) ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल निर्मित किया गया है,जिसे जनपद के समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (ग्रामीण एवं शहरी), सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र,हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एवं एन. सी. डी. क्लिनिक, जिला चिकित्सालय मे लागू किया जाना है। उक्त प्रोटोकॉल के तहत मधुमेह के रोगियों को न्यूनतम एक माह (30 दिन) की औषधि उपलब्ध कराई जायेगी,साथ ही मरीज किन परिस्थितियों में मरीज को रेफर एवम विशेषज्ञ से उपचार लेना है, इसकी गाइड लाइन जारी हुई है। इस संबंध में चिकित्सा एवम स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा जो गाइड लाइन जारी की गई है, उसे जनपद के समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (ग्रामीण एवं शहरी), सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एवं एन. सी.डी. क्लीनिक, जिला चिकित्सालय में पहुंचाया जा रहा है।
इन बातों का मरीज रखे ध्यान
प्रोटोकाल के अनुसार, डायबिटीज के कारण आंख का पर्दा खराब होने की सम्भावना रहती है इसलिए आंखों का वार्षिक चेक अप कराना चाहिए। इसी तरह मनुष्य की नसों, किडनी के खराब होने की भी संभावना रहती है। यदि महिला गर्भवती है तो स्त्री रोग विशेषज्ञ की निगरानी में उपचार करना चाहिए जिससे गर्भस्थ शिशु को कोई नुकसान ना हो। ब्लड शुगर 140 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होने पर विशेषज्ञ से उपचार चाहिए। 3 महीने में ब्लड शुगर की जांच आवश्यक है। पैरों में डायबिटिक अल्सर हो तो शल्य चिकित्सक से उपचार कराए। यदि दवा परिवर्तित करें तो ब्लड शुगर की हर 15 दिन में जांच जरूर कराएं। डायबिटीज के साथ किडनी व दिल की बीमारी हो तो विशेषज्ञ से जांच कराएं। एनसीडी के नोडल अधिकारी डा.अमित तिवारी ने बताया कि मधुमेह से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव एवम जटिलताएं पनपने लगती है। मधुमेह धीरे-धीरे व्यक्ति के शरीर को खराब कर देता है और अंदर से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है।प्रतिवर्ष मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना काल के बाद अपनों की स्मृति के कारण होने वाले मानसिक तनाव इसका प्रमुख कारण है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
डिस्ट्रिक पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ सौरभ सक्सेना ने बताया कि मधुमेह के लक्षण जैसे थकान होना, कमजोरी महसूस होना, त्वचा संबंधी रोग फंगल इंफेक्शन, बार-बार पेशाब लगना, अधिक भूख लगना, घाव का लंबे समय तक ना भरना, पैरों में दर्द, कंधे का जाम होना आदि प्रमुख है। मरीज को अपनी दवा सही समय और चिकित्सक सलाह से लेनी चाहिए क्योंकि कई बार गलत दवा, गलत डोज के साथ लेते हैं, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। चिकित्सक की सलाह के बिना दवा बंद नहीं करनी चाहिए। स्वस्थ खान-पान, स्वस्थ जीवन शैली, उचित व्यायाम से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें रोजाना कम से कम दस हजार कदम चलना चाहिए तभी हम स्वस्थ एवं रोग मुक्त जीवनयापन कर सकते हैं। आईएचसीआई प्रोग्राम के डिस्ट्रिक कोऑर्डिनेटर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि एनपीसीडीसीएसके अंतर्गत इंडिया हाइपरटेंशन कण्ट्रोल इनिसिएटिव (आईएचसीआई) कार्यक्रम की शुरुआत हुई है।
आंकड़ों में देखिये संख्या
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 के अनुसार, जिले में 28802 डायबिटीज का रोग भार है। जिसमें अभी तक डायबिटीज से ग्रसित 3975 मरीजों का एनसीडी के तहत उपचार किया जा रहा हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का ब्लड प्रेशर व डायबिटीज की स्क्रींनिंग कर चिन्हित मरीजों को नियमित दवा दी जाती है साथ ही उनका फॉलो अप किया जाता है। फालोअप होने से मरीजों के जांच एव दवाओं में निरंतरता बनी रहती है, जिससे जोखिम की संभावना बहुत कम हो जाती है,साथ ही इसे डिजिटलाइजड करने के लिए मरीजों की आभा आईडी से भी जोड़ा जा सकता है। आभा आई डी की वजह से मरीज कहीं भी जाकर फॉलोअप करवा सकता है। इस तरह मरीज के उपचार का डिजिटल रिकार्ड बना रहेगा।
क्या टाइप 2 डायबिटीज
टाइप 2 डायबिटीज तब होती है, जब शरीर ठीक से काम करने के लिए काफी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता, या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं करतीं। इसका मतलब है कि ग्लूकोज रक्त में बना रहता है और इसका इस्तेमाल ऊर्जा के लिए ईंधन के रूप में नहीं होता। टाइप 2 डायबिटीज अकसर मोटापे से जुड़ी होती है और यह वृद्ध लोगों में ज्यादा होती है। यह टाइप 1 डायबिटीज से कहीं ज़्यादा आम है।