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हर्षोल्लास के साथ मनाया गया वैसाखी पर्व

Friday, April 14, 2023

/ by Today Warta



राजीव कुमार जैन रानू

ललितपुर। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्रीगुरुसिंह सभा के तत्वाधान में गुरुद्वारा साहिब लक्ष्मीपुरा में खालसा पंथ का स्थापना दिवस वैसाखी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर श्री अखंड पाठ साहिब जी की समाप्ति हुई उपरांत मुख्य ग्रंथि ज्ञानी हरविंदर सिंह ने गुरबाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। दिल्ली से पधारे भाई करमजीत सिंह जी के रागी जत्थे ने गुरबाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। उन्होंने अपने कीर्तन में चोजी मेरे गोबिंदा चौजी मेरे प्यारया, मितर प्यारे नू कहना हाल मुरीदा दा कहना, जैसे मनमोहक गुरबाणी कीर्तन से संगत को भाव विभोर किया। इस अवसर पर गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने की खालसा पंथ की स्थापना की। गुरु गोविंद जी सिखों के दसवें गुरु थे। वर्ष 1699 में बैसाखी पर्व के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। आज भी सिख धर्म में इनके त्याग और वीरता की मिसाल दी जाती है। ये दिन सिखों के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण है। खालसा का मतलब होता है खालिस यानी शुद्ध जो मन, कर्म और वचन से पूरी तरह शुद्ध हो और समाज के प्रति पूरी तरह से समर्पित हो। आज ही के दिन उन्होंने 5 प्यारों को अमृत पान करवाया था। साथ ही पांच प्यारों के हाथों से अमृत पान किया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जानते थे की अगर लोगों को शासकों के अत्याचारों से मुक्ति दिलानी है तो उनके अंदर नैतिक बल भरना जरूरी है। पंज प्यारे की स्थापना से पहले सिख समुदाय की एक सभा बुलाई गई थी। इस सभा में गुरु गोबिंद सिंह ने पूछा की कौन अपने सिर का बलिदान दे सकता है। इस बात को सुनते ही भीड़ में मौजूद लोग शांत हो गए। तभी पहला हाथ आगे आया जो भाई दया सिंह जी का था। तब गुरु गोविंद सिंह उन्हें तंबू के पीछे ले गए और थोड़ी देर बाद जब लौटे तो उनकी तलवार पर खून की बूंदें थी। इसके बाद धर्म सिंह, हिम्मत सिंह, मोहकम सिंह और साहिब सिंह ने अपना सिर कटवाने के लिए गुरुजी के साथ तंबू के पीछे गए। कुछ समय बाद गुरु गोबिंदजी के साथ ठीक ठाक बाहर निकल आए। इसके बाद से सिख धर्म के हर पर्व की जिम्मेदारी उन्हीं पंच प्यारों के हाथ में सौंपी गई थी। कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल ने कहा कि सिख धर्म के हर पर्व में गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी के आगे भी इन्हीं पंच प्यारों को जगह दी जाती है। इस अवसर पर अखंड पाठ साहिब रविंदर सिंह छतवाल व परसन सिंह परमार की ओर से हुई। निशान साहिब के चोले की सेवा सरदार परसन सिंह परमार की ओर से हुई व गुरु जी के लंगर की सेवा भी परसन सिंह व सुभाष जायसवाल परिवार की ओर से हुई। इस अवसर पर गुरबचनसिंह सलूजा, परसन सिंह, सुभाष जायसवाल, रविंदर सिंह छतवाल को सारोपा भेट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संरक्षक जितेंद्र सिंह सलूजा, अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, परमजीत सिंह छतवाल, मनजीत सिंह एड., चरणजीत सिंह, जगजीत सिंह, अवतार सिंह, जिला सुचना अधिकारी सुरजीत सिंह, सीएमओ जे एस बक्शी, कल्याण सिंह, मेजर सिंह, हरजीत सिंह, गुरमुख सिंह, पत्रकार सुरेंद नारायण शर्मा, मनजीत सिंह परमार, तेजिंदर सिंह रीन, दलजीत सिंह, तरणदीप सिंह, ध्रमेंद उर्फ रुपेश, नंदू साहू, हरजीत कोर, कंचन कोर, परमजीत कोर, सिमरन कोर, गुरदीप कोर, अरविंदर सागरी, वरुण कालरा, राजू सिंधी, संतोष कालरा, मनोज, मनीष सिंघई, शानू बाबा, कवलदीप, रविंदर छाबड़ा, गोपी डोंडवानी, सतीश अरोरा आदि उपस्थित थे। संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया।

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