राजीव कुमार जैन रानू
रमजान के महीने में तीन अशरे (भाग) होते हैं
रमजान का मकसद गरीबों,मिस्कीनों व भूखों की पीड़ा समझना है
बानपुर/ललितपुर। पवित्र रमजान माह के आगमन से ही कस्बे में उसकी रौनके दिखाई दे रही हैं। पवित्र रमजान माह के आगमन से ही मुस्लिम धर्मावलम्बियो का ज्यादातर समय अब रोजा रखकर ,नमाज पढ़कर व तिलावत करके आदि इबादत में बीत रहा है। बताते चलें कि इस समय पवित्र रमजान का माह चल रहा है। अतः यह पर्व बानपुर कस्बे में भी मनाया जा रहा है जिसमें कस्बे के मुस्लिम धर्मावलम्बी शहरी,इफ्तार करके रोजा रख रहे हैं व । बताते चलें कि विगत वर्षों की तुलना में इस वर्ष रोजेदारों व इबादतगुजारों की संख्या में भारी वृद्धि हुयी है व ज्यादातर लोग कह रहे हैं कि मौसम अभी ठण्डा है जो कि अल्लाह की रोजदारो पर रहमत बरसने का एक नमूना है। इस दौरान अधिकतर लोग रोजा रखकर इबादत करके अपना वक्त गुजार रहे हैं व नमाज अदा कर रहे हैं व तिलावते कुरान कर रहे हैं । बताते चलें कि पवित्र रमजान माह में तीस दिन के रोजा हर मुसलमान आकिल,बालिग मर्द ,औरत पर फर्ज करार दिये गये हैं। और इस महीने को दस - दस दिन के तीन अशरों में बांटा गया है। जिसमें पहला अशरा रहमत का दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का होता है। अतैव पहले अशरे में अल्लाह की करीमाना शान का जिक्र दूसरे में इस्तगफार और तीसरे में जहन्नुम से निजात के लिए अल्लाह से माफी तलब की जाती है। इसी महीने के दौरान फितरा, जकात व सदका भी देने का प्रावधान है जो कि गरीबी उन्मूलन की दिशा में बहुत बड़ा कदम है व बहतरीन पुण्य कर्म भी। इस दौरान मुस्लिम धर्मावलम्बी अपनी दुआओं में अपने मुल्क व इंसानियत की हिफाजत व सलामती की दुआ कर रहे हैं।