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नगर निकायो में वोटरों की चुप्पी ने बढ़ायी, प्रत्याशियों की बेचैनी

Thursday, April 27, 2023

/ by Today Warta





राकेश केशरी 

कौशाम्बी। इस बार के नगर निकाय चुनाव में वोटरों की चुप्पी ने प्रत्याशियों को बेचैन कर दिया है। हर कोई विकास की गंगा बहाने की कसम खाने से लेकर जनता के मान.सम्मान पर मर मिटने का वायदा कर रहा है। फिर भी मतदाता किसी के साथ खुलकर सामने नहीं आ रहे। दरवाजे पर पहुंचने वाले हर उम्मीदवार को बस एक ही जुमला सुनने को मिल रहा कि आपको छोड़कर भला कहां जायेंगे। मन में क्या है जरा भी प्रकट नहीं होने दे रहे। मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही मतदाताओं की नब्ज टटोलने में जुटे उम्मीदवारों व उनके समर्थकों को लंबी कसरत करनी पड़ रही है, लेकिन फिजां किसके पक्ष में बन रही है, मतदाता इसके प्रति पूरी तरह मौन हैं। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक सपा,बसपा,भाजपा व कांग्रेस सहित सभी पार्टियों के उम्मीदवारों एवं निर्दल प्रत्याशियों ने अपने समर्थकों को लेकर जन सम्पर्क का अभियान तेज कर दिया है। घर.घर जाकर मतदाताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ ही अपने को सर्वोत्तम बताया जा रहा है,लेकिन मतदाताओं का ध्यान चुनाव की तरफ न होकर अपने कार्य में लगा हुआ है। चैराहों व चाय.पान की दुकानों पर चुनाव की चचार्एं तो चल रही हैं,लेकिन किसके सिर पर ताज पहनाया जायेगा, इस बारे में मतदाता चुप हैं। इससे प्रत्याशियों के दिल की धड़कने बढ़ गयी हैं। समर्थकों को क्षेत्र के सार्वजनिक भीड़भाड़ वाले जगहों पर भेज कर मतदाताओं की रुझान पता करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अलग.अलग तरह की चचार्ओं ने चुनाव के परिणाम को काफी पेचीदा कर दिया है। जानकारों की राय मानें तो इस बार मतदाता काफी चतुराई से अंदरूनी तौर पर प्रत्याशियों का बाकायदा मूल्यांकन कर रहे हैं तथा किसकी जीत से क्या हासिल होगा,इसकी पूरी समीक्षा भी कर रहे हैं। हालांकि नगर निकाय चुनाव में उतरे अध्यक्ष पद के सभी उम्मीदवार नगर क्षेत्र के नागरिको में अपनी जीत के प्रति आश्वास्त दिखाने की कोशिश कर रहे हैं,लेकिन उनके मुस्काते चेहरे पर भीतर की बेचैनी स्पष्ट रूप से दिख रही है। प्रत्याशियों द्वारा एक.दूसरे की चुनावी प्रचार में जुटने वाली भीड़ पर भी पूरी नजर रखी जा रही है तथा हर स्तर पर कयास केवल रूझान जानने की तरफ लगाया रहा है। फिलहाल जो हालात उभरे हैं उसमें सभी ने अपनी प्रतिष्ठा की बाजी लगा दी है।

वोटर कहते है

पहले राजनीति समाजसेवा एवं सिद्धांतों पर की जाती थी, मगर वर्तमान में व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये की जाती है। बिजली पानी की समस्या बताना एवं नेताओं को गाली देना आम चलन है,जबकि दोषी जनता ही है। ईमानदार स्वच्छ छवि एवं विकास कराने वाले नेता की बात करने वाला वोटर मतदान करते समय सिर्फ नेता की जाति,धनबल एवं बाहुबल देखकर ही मतदान करता है। भले ही बाद में उसे पछताना पड़े। यही कारण है कि बुद्धिजीवी,समाजसेवी एवं ईमानदार व्यक्ति चुनावी राजनीति से दूर हो जाता है। मंझनपुर नगर पालिका परिषद के युवा मतदाता अरूण कुमार,विमल सेन,कैलाश अग्रहरी,तरूण गुप्ता, आशीष,बलदेव,चन्द्रसेन का कहना है कि उम्मीद की जानी चाहिए कि हमें-आपको सोच बदलकर,बिना किसी दवाब के मतदान करना होगा। 


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