राकेश केशरी
जनपद में अंतरा के लाभार्थी बढ़े
कौशाम्बी। नगमा, उम्र 24 वर्ष (काल्पनिक नाम) निवासी गांधीनगर मंझनपुर के दो बच्चे हैं। छोटा बच्चा ढेड साल और बड़ा बच्चा तीन वर्ष का है। फिलहाल वह बच्चा नहीं चाहती हैं। इसके लिए अंतरा की तीन डोज लगवा चुकी हैं। वह बताती हैं कि यह इंजेक्शन बहुत आसान है और इसका कोई नुकसान भी नहीं है। यह तो सिर्फ बानगीभर है। ऐसी कई महिलायें हैं जो परिवार नियोजन के अस्थाई साधन अंतरा इंजेक्शन को अपनाकर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी अधिकारी व नोडल परिवार नियोजन डॉ0 हिन्द प्रकाश मणि बताते हैं कि जनपद में स्वास्थ्य विभाग का परिवार कल्याण के साधनों पर जागरूकता कर समुदाय की महिलाओं को सरल स्वास्थ्य सुविधाएं दे रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से लक्षित दंपति को परिवार नियोजन के साधन अपनाने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 8302 महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन अपनाया है। जबकि अगले वर्ष यह आंकड़ा बढ़ा भी है। अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 11005 महिलाओं ने त्रैमासिक इंजेक्शन अंतरा को अपनाया है। डॉ0 मणि ने बताया कि अंतरा इंजेक्शन प्रभावी है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इसका असर तीन महीने तक रहता है। हर तीन महीने बाद एक इंजेक्शन लगाया जाता है। उन्होंने बताया जब तक परिवार नियोजित रखना हो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। जब भी दोबारा मां बनना हो तो इसका इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। लगभग छह महीने में मासिक चक्र नियमित हो जाता है। तब अगला बच्चा प्लान कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अंतरा की सुविधा जनपद में जिला अस्पताल,सभी सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों व उप प्राथमिक केन्द्रों पर उपलब्ध है। जिला परिवार नियोजन एवं सामग्री प्रबंधक देव प्रकाश यादव ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर दंपति को परिवार नियोजन के अस्थाई व स्थाई साधन के बारे में जागरूक कर रहे हैं। जागरूकता बढ़ने के बाद दम्पत्ति परिवार नियोजन को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं में परिवार नियोजन के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा बहुत है। आशा व एएनएम के जरिए लाभर्थियों की काउन्सलिंग तथा प्रसार-प्रचार के जरिए लोगों को इसकी जानकारी दी जा रही है। जागरूकता बढ़ने के कारण ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है। लक्षित महिलाएं गर्भ निरोधक के तौर पर इनका इस्तेमाल कर रही हैं। परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने में आशा कार्यकर्ता अहम भूमिका निभा रही हैं। पीएचसी मंझनपुर की आशा कार्यकर्ता मिथलेश ने बताया कि महिलाओं में अब अंतरा की मांग बढ़ रही है। पहले समझाने में समस्या आती थी लेकिन जब उन्हें अंतरा की खूबियों एवं सरलता के बारे में बताते हैं तो वह बहुत आराम से लगवा लेती हैं। साथ ही इसे लगवाने के लिए लाभार्थी एवं हमे भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से 100 रुपये मिलते हैं।