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परिवार न्यायालय में अधिवक्ताओं व वादकारियों के बैठने के लिए नहीं है व्यवस्था

Monday, August 29, 2022

/ by Today Warta

 


अधिवक्ताओं को खड़े रह कर व वादकारियों को जमीन पर बैठ कर करना पड़ रहा है,अपनी सुनवाई का इंतजार

कौशाम्बी। जनपद के प्रधान पारिवारिक न्यायालय में स्थापना के एक दशक बाद भी हालात बद से बद्तर ही बने हुए हैं। अभी तक न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं और वादकारियों के बैठने तक का कोई इंतजाम नहीं हो सका है। कोर्ट रूम में भी प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश की कुर्सी के अलावा केवल पेशकार व लिपिक के बैठने के लिए ही कुर्सी है। अधिवक्ताओं के बैठने का भी कोई इंतजाम नहीं है। न्यायालय कक्ष में नीचे केवल दो कुर्सी रखी गई है। इन कुर्सियों पर एक महिला कांस्टेबल व एक हेड कांस्टेबल बैठते हैं। अधिवक्ताओं के बैठने के लिए कोर्ट रूम में कोई कुर्सी नहीं होने के कारण उन्हें खड़े-खड़े ही अपने मुकदमों की सुनवाई का इंतजार करना पड़ रहा है। बतां दें कि जिले में वर्ष 2013 में पारिवारिक न्यायालय की स्थापना हुई है। स्थापना के समय इस कोर्ट को जिला कचहरी में ही शिफ्ट कर दिया गया था। तत्कालीन अपर जिला जज परमानंद शुक्ल को पारिवारिक न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। बाद में इस न्यायालय को मंझनपुर विकास खंड के गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया। इस भवन में एक कोर्ट रूम के अलावा कार्यालय के लिए एक कमरा है, और पीठासीन अधिकारी के बैठने के लिए एक रिटायरिंग रूम व स्टेनो ग्राफर के लिए एक कमरा है। पारिवारिक न्यायालय का निजी भवन अभी निमार्णाधीन है। वर्तमान में पारिवारिक न्यायालय में अधिवक्ताओं और वादकारियों के बैठने के लिए कोई भी फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि इसके लिए मां0 उच्च न्यायालय को को पत्र लिखा गया है, किन्तु अभी तक कोई बजट नहीं मिला, इसके परिणामस्वरूप अधिवक्ताओं और वादकारियों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं की जा सकी है।


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