सड़को के किनारे लगें वृक्ष प्रदूषित गैस करतें हैं कम
कौशाम्बी। जो पेड़ पौधे हमें जिंदा रहने के लिए आक्सीजन देते हैं, उन्हीं को हम बिना सोचे समझे समूल नष्ट करते जा रहे हैं। पेड़ पौधे न रहे तो धरती पर जीवन की धड़कन ही बंद हो जाएगी। पेड़ पौधे हमें चारा,ईधन,इमारती लकड़ी, औषधियां, रेशे,फल और फूल ही नहीं जिंदा रहने के लिए आॅक्सीजन भी देते हैं। पेड़ पौधे हमारे कल कारखानों द्वारा रात.दिन उगले जा रहे जहरीले धुएं को पीकर हमें जीवित रहने के लिए प्राणवायु आॅक्सीजन देते हैं। वन विभाग के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र में उगे वयस्क वृक्ष हर साल करीब 3.7 टन प्रदूषित वायु को सोखकर 2 टन आॅक्सीजन देते हैं। प्रदेश में वनावरण भौगोलिक क्षेत्र का 5.86 प्रतिशत तथा गैर वन भूमि में वृक्षावरण भौगोलिक क्षेत्र का 3.4 प्रतिशत है। इस प्रकार मात्र 9.26 प्रतिशत भू भाग में ही वनावरण व वृक्षावरण है। प्रदूषण के कारण कार्बन डाईआक्साइड तथा कार्बन मोनो आॅक्साइड, नाइट्रोजन आॅक्साइड, सल्फर डाई आॅक्साइड, फ्लोराइड, धूल आदि की मात्रा में वृद्धि हुई है। वृक्षों और अन्य पौधों के पत्ते वायु को छानते हैं और इस प्रकार टनों धूल अपने ऊपर रोककर उसके श्वास नलिकाओं में जाने या आंखों में पडने की संभावनाओं को कम कर देते हैं। पेड़ हानिकारक गैसों की सांद्रता कम कर पर्यावरण को शुद्ध करते हैं। मार्गो के किनारे वृक्षों की दो पट्टियां स्थानीय वायुमंडल में प्रदूषित गैसों की सांद्रता को लगभग 4 प्रतिशत तक कम कर देती हैं। इसलिए सड़क किनारे पेड़ लगाने को बढ़ावा मिलना चाहिए। भूगोलविद डॉ0 मनीष सिंह बताते हैं कि कार्बन डाइआॅक्साइड का संकेन्द्रण बढने से उसका एक ऐसा स्तर वायुमंडल में बन जाता है, जिसमें से सौर विकरण भूमि की ओर आ सकती है, किंतु परावर्तित होकर वापस नहीं जा सकती। इससे जहां एक ओर पृथ्वी पर उष्मा गृह जैसा प्रभाव पड़ता है, वहीं दूसरी ओर वायु दाब में इतना परिवर्तन आ जाता है कि मानसून अत्यंत अनियमित हो जाता है जिससे कहीं तो अचानक मूसलाधार बारिश के कारण विनाशकारी आकस्मिक बाढ़ आ जाती है और कहीं सूखा पड़ जाता है।