श्रावक संस्कार शिविर में तीन हजार से अधिक शिविरार्थी कर रहे पर्यूषण पर्व पर धर्म साधना
ललितपुर। जैन धर्माविलम्बियों के पर्वराज पर्यूषण पर मुनि सुधासागर महाराज के सानिध्य में 29 वां श्रावक संस्कार शिविर का आज शुभारम्भ प्रात:काल धर्मध्यान, प्रभु अभिषेक शान्तिधारा से हुआ। शिविर में 3 हजार से अधिक शिविरार्थी सम्मलित होकर दस दिन संयम साधना कर अपने जीवन में संस्कारों का वीजारोपण करेंगे। क्षेत्रपाल मंदिर में प्रथम दिवस उत्तम क्षमा धर्म पर सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि सुधासागर महाराज ने कहा ग्रहस्थ का धर्म स्वयं के हाथ में है वही दशलक्षण है। यह हमारी जिन्दगी है इनके साथ जो जिए वही धर्म है जो अभाव में जीते हैं वह स्वभाव में वदलें। संसार में कर्म जैसा चलाते हैं हम चलते हैं। प्रत्येक जीव अपने कर्मो के अनुसार फल भोगता है हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है कर्म जो कराएगा कर्म जैसा कराएगा वैसा ही जिएगे। दुश्मन के सामने क्रोध कर ले और अपनों के सामने राग यह श्रावक की परिणति है। सज्जन किसी दुर्जन का प्रतिकार करे तो समझ लेना कि दुर्जन की शक्ति वढ गई और यदि सज्जन मौन हो गया तो समझ लेना दुर्जन का अंत आ गया। साधु विपरीत वातावरण में शाान्त बैठा मौन लेकर बैठ गया तो समझ लेना कुछ अनर्थ होने वाला है। यदि इससे पहले कुछ साधु चुप्पी साथ ली तो समझ लेना अब दुष्ट खत्म होने वाला है। मुनि श्री ने शिविरार्थियों को जीवन में संदेश देते हुए कहा अपनी दृष्टि पहिचानों और विचारो तुम्हारी जिन्दगी में कीमत क्या है। तुम अपने आपको अच्छा कैसे कहते हो। तुमने अच्छा क्या किया जिससे तुम्हें सकून मिले। शिविरार्थी जिस क्षेत्र में रहे अपने परिणामों में निर्मलता लाए और विचारों में आदर्श प्रस्तुत करे वही सच्चा धर्म है। धर्मसभा का प्रारम्भ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख दीपप्रज्जवलन कर हुआ। जिसमें शिविर पुण्र्याजक परिवार ने मुनिश्री का पाद प्रक्षालन कर मुनिश्री को शास्त्र समर्पित किए। इसके पूर्व शिविरार्थियों को मुनिश्री ने ध्यान साधना करायी। सायंकाल ज्ञानसागर गु्रप, विद्यासागर गु्रप,सुधासागर गु्रप, पूज्यसागर गु्रप,धैर्यसागर गु्रप एवं गम्भीरसागर गु्रप के शिविरार्थियों को गु्रप अनुसार एलक ध्यानसागर महाराज के अतिरिक्त दिनेश जी गुगवाल जयपुर, व्रहमचारी विनोद भैया जबलपुर, ब्रहमचारी सुनील भैया ने धार्मिक बोध कराया।

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