देश

national

मनरेगा भी नही आई रास,भटक रहे मजदूर,75 राजस्व गांव,इलाहाबाद के संरक्षण में

Monday, September 12, 2022

/ by Today Warta

 


दोआबा का सच,गरीबों का शोषण,पलायन,

कौशाम्बी। यमुना का तराई क्षेत्र चार जनपदों से घिरा हुआ है। जिसमे छल कपट और बेइमानी रहीसों का खेल है। इस खेल मे लोग अपने को ठगा महशूस करते है। यहां का मुख्य व्यवसाय बालू और मछली है। इस व्यवसाय से पचहत्तर फीसदी लोग जुडे है। जो जीवन यापन के लिए भूख मिटाने का जरिया बालू खाकर जीना समझते है। केंद्र सरकार मनरेगा योजना मजदूरों को भोजन देने के लिए लागू किया। लेकिन वह भी कर्मचारियों की उदासीनता के कारण फ्लाप हो गई। राजा वासवदत्ता की कर्म स्थली कौशाम्बी 18 लाख की आबादी मे सात लाख महिलाओं की जनसंख्या है। जिसमे आठ विकास खंडो मे सिराथू, कडा, मंझनपुर, मूरतगंज, सरसंवा,कौशाम्बी,चायल नेवादा के साथ.साथ तीन तहसील मंझनपुर, चायल, सिराथू है। मजदूरों की सख्या एक लाख पचहत्तर हजार है। चार सौ अटठानवे गांव मे मनरेगा योजना केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई। जिसमे जाब कार्ड धारकों को गांव मे सौ दिन का रोजगार देने की गारंटी भी सरकार ने तय किया। लेकिन सरकार के नुमाइन्दो के कारण महात्मा गांधी नरेगा योजना भी लोगो को रोजगार देने मे फ्लाफ हो गई। दो जून की रोटी का जुगाड करने के लिए जाब कार्ड धारक रोजगार की तलाश मे गैर प्रान्तों को पलायन करने लगें। यहां का मुख्य व्यवसाय केवल मछली और बालू है। जनपद मे सामान्य और ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति के लोग निवास करते है। जनसंख्या के अनुसार ओबीसी मे मुस्लिम परिवारों की जनसंख्या अधिक है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो का मुख्य व्यवसाय मछली मारना है। वही पर कुछ लोग कुटीर उद्योग की सकल मे कच्ची शराब बनाना पीना अपना उददेश्य समझते है। प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्कूलो की संख्या 1000 मे अधिक विद्यालय शिक्षक विहीन है। या फिर एक दो शिक्षकों के सहारे दो लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा दी जाती है। जो अधिकतर अशिक्षा की श्रेणी मे आते है। इस जनपद मे वृृद्धों की संख्या पचहत्तर हजार के लगभग है। जिसमे तीस हजार के लगभग वृद्ध महिलाओ की संख्या है। दो हजार से अधिक महिला पुरुष भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते है। दस हजार एकड भूमि मे अधिकतर असिंचित है। जहां पर बालू और रेतीला भाग है। प्रयागराज,प्रतापगढ, चित्रकूट,फतेहपुर से घिरा हुआ दोआबा का पठारी इलाका है। जिसके पचहत्तर राजस्व गांव आज भी प्रयागराज के संरक्षण मे जी रहे है। जब कि इन गावों मे  कौशाम्बी पुलिस का ही राज चलता है। एक सांसद व तीन विधायक राज करते चले आ रहे है। लेकिन विकास के नाम पर केवल लूट हो रही है। सिचाई के साधन नहरे है। लेकिन वह भी वर्षों से सूखी पडी है। अशिक्षा के कारण जेल मे भी रेलम पेल मची है। क्षमता से अधिक कैदी बंद होने के कारण आए दिन जेल मे मार पीट की घटनाए होती रहती है। मंण्डल के चारों जनपदो के अपराधी अपराध करके फरार हो जाते है। वही घटनाओं को पुलिस खोलने और सजा दिलाने मे असहाय साबित होती है।

Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'