कौशाम्बी। शासन डाल.डाल तो अफसर चलें पात.पात। यह कहावत विनियमित क्षेत्र के इंजीनियर और अफसर चरितार्थ कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट हो या तहसीलों के न्यायालय,सभी स्थानों पर व्यवस्था आनलाइन हो चुकी है। किसी नए केस के पंजीकृत होते ही संबंधित को मैसेज के जरिए सूचना मिल जाती है। हर पेशी पर प्रगति रिपोर्ट भी भेजी जाती है। हालांकि अभी तक विनियमित क्षेत्र में यह व्यवस्था लागू ही नहीं की जा सकी है। मुकदमों के बोझ से सभी अदालतें बोझिल हो रही हैं। केस की बढ़ रही संख्या और निस्तारण की सुस्त रफ्तार ने व्यवस्था पर ही कुछ दिनों पूर्व सवाल खड़े कर दिए थे। आला अफसरान भी चैतन्य हुए और सभी मुकदमों को आनलाइन करने का शासनादेश जारी हुआ। अपर जिलाधिकारी प्रशासन,एडीएम वित्त एवं राजस्व और मुख्य राजस्व अधिकारियों के न्यायालयों में कंप्यूटर लगा दिए गए हैं। इंटरनेट से जोड़ते हुए व्यवस्था को सुधार की तरफ ले जाया जा रहा है। हालांकि सभी विनियमित क्षेत्र में पंजीकृत होने वाले अवैध अतिक्रमण,नजूल की जमीनों पर कब्जे,बिना मानचित्र स्वीकृति के निर्माण व मानचित्र निरस्तीकरण के मुकदमे पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। इन केसों को आनलाइन नहीं किए जाने से शासन स्तर से मुकदमों की निगरानी प्रक्रिया बाधित चल रही है। ऐसे में विभागीय अभियंता व कर्मचारी फरियादियों का मनचाहा उत्पीडन कर रहे हैं। जिले के आला अधिकारी भी मैनुअल व्यवस्था को खत्म कर मुकदमों के निस्तारण को हाइटेक प्रक्रिया से संबद्ध नहीं करा पा रहे हैं। लोगो की मानें तो अभी तक मुकदमों को कंप्यूटरीकृत नहीं किया जा सका है। मैनुअल नोटिस के जरिए ही पक्षकारों को सूचना भेजी जाती है।

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