धनजंय सिंह
चायल,कौशाम्बी। नेवादा विकास खंड क्षेत्र के बैर गांव का मजरा गोटइया का पूरा बिजली और सड़क की तलाश में विकास की बाट जोह रहा है। इस मजरे के ग्रामीणों का दर्द ऐसा है कि जिसे सुनने के बाद लोग आला अफसरों के साथ-साथ गांव के जिम्मेदारों को भी कोसते हैं। चुनाव में वोट तो मांगा जाता है लेकिन विद्युतीकरण न होने के कारण जिंदगी अंधेरी सी लगती है। आगे बढना तो चाहते हैं लेकिन एक अदद सड़क तक नहीं मिली। पगडंडियों में लुढ़कती जिंदगी को बिता रहे ग्रामीण आला अफसरों की चैखट पर शिकायत करते हैं लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। बता दें कि जनपद सृजन हुए दो दशक से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी भी तमाम ऐसे गांव हैं जहां विकास की राह में जिम्मेदार रोड़ा बने हुए हैं। शासन की ओर से प्रयास तो किया जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन इसे खास तरजीह नहीं दे रहा है। अधिकांश गांव की बस्तियां तो ऐसी हैं जहां चुनावी दंश लोगों को झेलना पड़ रहा है। इसी क्रम में नेवादा विकास खंड के बैर गांव का मजरा गोटइया का पूरा के ग्रामीण आज भी जिम्मेदारों की अनदेखी का दंश झेल रहे हैं। ग्रामीणों की मानें तो आज तक इस मजरे में विद्युतीकरण नहीं हुआ। अंधेरे में जीवन यापन करना पड़ रहा है। पुरवा तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को पगडंडियों का सहारा लेना पड़ रहा है। कुल मिलाकर अंधेर भरी जिंदगी में विकास की राह तो ग्रामीण तलाश रहे हैं लेकिन उनके कदम पगडंडियों में बार-बार लुढ़क जा रही है। काबिले गौर बात तो यह है कि पुरवा में विकास कार्य कराए जाने के लिए ग्रामीणों ने गांव के जिम्मेदारों समेत प्रशासनिक अफसरों से कई बार शिकायत की लेकिन नक्कारखाने में आवाज तूती साबित हो रही है।