कौशाम्बी। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना सैकड़ों मरीजों का उपचार होता है। मगर,हाल देखिए। इन दिनों इमरजेंसी खुद ही इमरजेंसी के दौर से गुजर रही है। यहां जीवन रक्षक और दर्द निवारक दवाओं के साथ सामान्य दवाओं का भी अभाव है। स्थितियां बद से बदतर होती जा रही हैं। मगर,जिम्मेदार हैं कि अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं। मरीजों की जान बचाने के लिए तीमारदारों को बाहर से दवाएं लाकर उपचार कराना पड़ रहा है। बेहद गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों को सीधे इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है। प्रतिदिन दो दर्जन से ज्यादा मरीज इन दिनों यहां पहुंच रहे हैं। मगर,दवाओं के अभाव में अधिकांश मरीजों को मरहम.पट्टी कर प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया जाता है। इलाज के लिए आवश्यक दवाएं तक इमरजेंसी में मौजूद नहीं हैं। डायरिया पीडितों को चढ़ाई जाने वाली ड्रिप में मेट्रोजिल और डाइक्लो तक उपलब्ध नहीं हैं। सिर्फ आरएल की बोतल चढ़ाकर ही काम चलाया जा रहा है। एंटीबायोटिक के नाम पर एक मात्र जेंटामाइसिन इंजेक्शन ही मौजूद है। जबकि लंबे समय से आवश्यक सिफाडेक्सिम एंटीबायोटिक की मांग की जा रही है। सामान्यता तो चिकित्सक उपलब्ध दवाओं से ही मरीजों को राहत देने की कोशिश करते हैं,लेकिन स्थितियां बिगड़ती देख मजबूरी में तीमारदारों की इच्छा पर बाहर की दवाओं से उपचार देकर मरीजों की जान बचानी पड़ रही है।
नहीं है दर्द निवारक,कराह रहे मरीज
इमरजेंसी में सड़क हादसों और अन्य दुर्घटनाओं के घायलों को भी भर्ती कराया जाता है। लेकिन, यहां दवाओं और आधुनिक उपचार के अभाव में अधिकांश मामलों में सिर्फ मरहम.पट्टी के बाद ही घायलों को प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया जाता है। असहनीय दर्द से कराहते मरीजों को त्वरित राहत देने में डाइक्लोफेनिक इंजेक्शन बेहद कारगर है। मगर,इस इंजेक्शन का यहां टोटा बना हुआ है। ऐसे में गंभीर घायलों को दूसरे हल्की क्षमता वाले इंजेक्शन लगाकर उपचार दिया जा रहा है।
इनका कहना...
जिला अस्पताल के सीएमएस डा0 दीपक सेठ ने बताया कि आवश्यक जीवन रक्षक और दर्द निवारक दवाओं की उपलब्धता के लिए पत्र लिखा गया है। हमारे पास दवाओं के दूसरे विकल्प भी उपलब्ध हैं। फिलहाल,उन्हीं से मरीजों को राहत देने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी प्राथमिकता है कि किसी भी सूरत में मरीजों की जीवनरक्षा कर उन्हें बेहतर उपचार दें। इसके लिए हर संभव कोशिश भी हो रही है।

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