कंक्रीट में जड़ कर सड़कों से बाँध दिये गये पेड़, पानी को तरसी जड़ें*
प्रयागराज । संगम नगरी में फुटपाथ टाइलिंग और सीमेंटिंग के कारण पेड़ अपनी जड़ें नहीं फैला पा रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए पेड़ों को टाइल, सीमेंट या सड़क के साथ ही बांध दिया गया है। शहर के एल्गिन रोड, पीडी टंडन रोड, कमला नेहरू मार्ग, कस्तूरबा गांधी मार्ग, शिवराम दास गुलाटी मार्ग आदि इलाक़ों में अधिकारियों की अदूरदर्शिता के कारण सड़क बनाते समय किनारे के पेड़ों की जड़ को अलकतरे से बांध दिया गया है। शहर को लोगों की आंखों में सजाने के लिए पेड़ों की सांस पर ही पहरे लगा दिए गए हैं जिसके कारण आज पेड़ों को जिंदा बचे रहने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इस जद्दोजहद की निशानी कई जगह फूटपाथ में देखी जा सकती है। जहां पर लगे टाइलों को जड़ों ने तोड़ना शुरू कर दिया हैं। गौरतलब है की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेड़ की जड़ के एक मीटर दायरे में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा रखी है, ताकि जड़ों को हवा-पानी नसीब हो। लेकिन विभागीय अफ़सरों को सड़क बनाते समय पेड़ और बिजली के खंभे में कोई अंतर ही नहीं दिख रहा है। अच्छे-खासे बड़े और छायादार पेड़ों की सांसें अलकतरा और सीमेंट के सहारे रोकी जा रही हैं।अपनी जड़ों के सड़क के साथ जकड़ जाने के कारण पेड़ अपने स्वभाव अनुसार उनको फैला नहीं पाते हैं। शहरी क्षेत्रों मे व्यापक पैमाने पर कंक्रीटीकरण से वैसे ही भूजल में कमी है। उस पर पेड़ों को भी कंक्रीट मे बांधने से जड़ों को पानी नही मिल पाता है और पेड़ एक समय बाद बढ़ना बंद कर देते हैं। बता दें कि पेड़ों को इस तरह से घेरने के कारण चेन्नई में लगभग 17 हजार पेड़ बर्बाद हो गए थे। इसी पर एनजीटी ने आदेश दिए थे। एनजीटी का निर्देश है कि पेड़ों के एक मीटर के दायरे में निर्माण नहीं होगा। पेड़ों में पानी जाने के लिए खुली मिट्टी रहनी चाहिए। एनजीटी ने सख्ती से इसके अनुपालन का निर्देश भी दिया है।

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