कौशाम्बी। पॉलीथिन और प्लास्टिक पर प्रतिबंध को लेकर प्रधानमंत्री सख्त बात कह चुके हैं, इसके बाद भी प्रशासनिक मशीनरी सजग नहीं हो सकी है। जिले में पालीथिन की बिक्री खुलेआम हो रही है और गाहे बहागे अभियान चलाकर निदेर्शों की खानापूर्ति कर ली जाती है। सिगल यूज पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग चुका है लेकिन जिले में प्रशासनिक स्तर पर इस पर बैन लगाने की कोई प्रक्रिया नहीं शुरू हो सकी है। पॉलीथिन के प्रयोग का ही नतीजा है कि जिले में गंगाघाट के तट कूड़े से पटे हैं। वहीं नाले-नालियां में सैकड़ों टन पॉलीथिन से पटे हैं। जिले में पॉलीथिन पर प्रतिबंध के आदेश का जिन्हें पालन करना है वही सिगल यूज पॉलीथिन व प्लास्टिक का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं। अफसरों की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है,ठेलिया दुकानदारों से लेकर चाय और परचून की बड़ी दुकानों तक पॉलीथन का प्रयोग हो रहा है। शायद इसी का नतीजा है कि शहरी क्षेत्रों में जल निकासी के लिए पॉलीथिन अभिशाप बन चुकी है। नाले नालियां पॉलीथिन से पटे पड़े हैं। इसका दुष्परिणाम है कि जल-निकासी व्यवस्था चैपट है। जबकि वर्तमान में 50 माइक्रॉन से कम मोटाई के प्लास्टिक का उपयोग करने पर उसके जब्त कर लिये जाने का प्रावधान है। यही नहीं मानक से कम मोटाई की प्लास्टिक के निर्माण, स्टोरेज, निर्यात, वितरण, बिक्री या परिवहन के हिसाब से अलग-अलग तरह की जुमार्ना राशि तय है। लेकिन इस सबके बावजूद भी प्रतिबंधित पालीथिन का चलन जिले की सभी बाजारो में बेधडक चालू है।