श्राद्ध, तर्पण के साथ किया गया पिंडदान
कौशाम्बी। दोआबा में पितृ पक्ष के समापन के अवसर पर गंगा घाटों पर काफी भीड़ दिखाई दी। स्नान के बाद लोगों ने तर्पण व पिंडदान किया। घरों में भी श्राद्ध किया गया। गौ, कुत्ता व कौवा को ग्रास निकाला गया। ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दी गई। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक 15 दिनों तक पितृ पक्ष माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में मृतक आत्मा धरती पर आती हैं। अपने वंशजों के द्वारा दिए गए श्राद्ध तर्पण और पिंडदान को वह ग्रहण करते हैं। इससे उनकी आत्मा तृप्त होती हैं। ऐसा करने वालों को वह आशीर्वाद देते हैं। जबकि न करने वालों को श्राप देते हैं। जो लोग 15 दिनों तक श्राद्ध तर्पण नहीं कर सके। वह अमावस्या को करते हैं। रविवार को पितृ विसर्जन को अमावस्या थी। दोआबा के पल्हना, संदीपन, कड़ा, कांकराबाद आदि गंगा घाटों पर सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। सबसे पहले क्षौरकर्म कराया। इसके बाद तर्पण व पिंडदान किया। जो लोग गंगा किनारे नही जा सके। वह घरों पर ही पिंडदान व तर्पण किया। घरों में पकवान बनाकर गौ, कुत्ता व कौआ को ग्रास दिया गया। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दी गई।

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