कौशाम्बी। मंझनपुर क्षेत्र के गुवारा तैयबपुर में लगातार कई वर्षों से ऐतिहासिक दस दिवसीय रामलीला के साथ आखिरी दिन तीन दिवसीय मेले का आयोजन बड़े धूम - धाम से किया जाता है मेले में दूर दराज से लोग आते हैं और अपनी जरूरत की चीजों को खरीदते हैं। वहीं रामलीला में महर्षि विश्वामित्र चक्रवर्ती नरेश राजा दशरथ से यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को मांगने उनके महल पहुंचे। महर्षि ने राजा दशरथ से कहा कि राजन ताड़का नाम की राक्षसी से पूरा समाज भयभीत है। वह जप , तप , यज्ञ इत्यादि नहीं करने देती है।
इसलिए यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को लेने आया हूं। यह सुनते ही राजा दशरथ दुःखी हो गए और कहा कि मुनिवर मेरे राम व लक्ष्मण बहुत कोमल व सुकुमार हैं, भला ताड़का जैसी राक्षसी का वध कैसे करेंगे ? ऋषिवर मैं स्वयं आपके यज्ञ की रक्षा के लिए चलूंगा, लेकिन राम व लक्ष्मण को नहीं जाने दूंगा। राजा दशरथ की बात सुन महर्षि विश्वामित्र क्रोधित हो गए और बोले कि मैं तुम्हारी अयोध्या नगरी को भस्म कर दूंगा। उसी समय वशिष्ठ मुनि आते हैं और विश्वामित्र को शांत कराते हुए राजा दशरथ को समझाते हैं कि राम लोक कल्याण के लिए अवतरित हुए हैं। इसलिए इनको महर्षि विश्वामित्र के साथ जाने दीजिए।
राजा दशरथ राम व लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ विदा करते हैं। भगवान राम रास्ते मे ही ताड़का नाम की राक्षसी का वध करते हैं। ताड़का का वध करते ही रामलीला प्रांगण जय श्रीराम के नारे से गुंजायमान हो उठा। इस मौके पर कमेटी अध्यक्ष आकाश सिंह ग्राम प्रधान इन्द्रराज सरोज व प्रतिनिधि शिवा यादव आदि लोग मौजूद रहे।
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