कौशाम्बी। कभी चैका-बर्तन कर घर-गृहस्थी संभालने वाली महिलाएं इधर कुछ समय से कच्ची शराब के कारोबार में तेजी से उतरी है। जिले में कच्ची दारू का धंधा अब घरेलू उद्योग का रूप लेने लगा है। शुरूआती दौर में भूमिहीन अत्यन्त निर्धन परिवारों के पुरूष ही कच्ची शराब का कारोबार करते रहे, लेकिन इधर कुछ समय से इन परिवारों के महिलाओं की सक्रियता इस धंधे में काफी हद तक बढ़ गयी है। यहां तक कि उनके बच्चे भी कच्ची शराब बनवाने में मदद करने लगे हैं। खबर के अनुसार सैनी व कडाधाम थाना क्षेत्र के ग्राम हब्बूनगर सिपाह, गुलामीपुर, अकबरपुर, घोसियाना, देवीगंज, अझुवा, कानेमई आदि गांवों में लगभग सैकड़ो भट्टियां सुलग रही हैं। इन भटिृयों पर पुरूषों से अधिक महिलाओं को शराब बनाते व बेचते देखा जा सकता है। इसी प्रकार मंझनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम देवखरपुर, बेलाफतेहपुर, नौगीरा,ओसा,तथा करारी थाना क्षेत्र के ग्राम बरलहा, कुंआडीह, खनदेंवरा,उखैयाखास आदि स्थानों पर अवैध शराब के धंधे में ज्यादातर महिलाएं ही शामिल हैं। हालांकि पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा इन पर अंकुश लगाने के लिए बार-बार अभियान चलाया जाता है तथा दर्जनों की संख्या में हर बार भटिृयां, लहन व उपकरण आदि नष्ट भी किये जाते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों बाद फिर से धंधा शुरू हो जाता है। इस संबंध में एएसपी समर बहादुर का कहना है कि कच्ची शराब पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। अभियान चलाकर अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। जहां तक महिलाओं के इस धंधे में शामिल होने की बात है तो इसके लिए सामाजिक जागरूकता लाने की जरूरत है। दरअसल इस तरह की गड़बड़ी अशिक्षा के कारण है। वही ग्रामीण बुजुर्गो का कहना हैं कि कभी महुआ द्वाबा वासियों के लिए अमृत था आज वहीं गरीबी, पारिवारिक कलह व महिलाओं पर अत्याचार का कारण बन गया है। हालत यह है कि इन दिनों जनपद के दर्जनों गांव में देशी शराब लघु उद्योग का रूप लेता जा रहा है। नई पीढ़ी नशे का शिकार हो रही है। ग्रामीणों की माने तो महुआ को पहले उबाल कर खाया जाता था। शराब के धंधे ने उस परम्परा को तोड़ दिया है।