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साधना ही साधक को महान बनाती : सुधासागर

Thursday, October 20, 2022

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र

क्षेत्रपाल मंदिर में मुनिश्री ने किया धर्मसभा को संबोधित

ललितपुर। मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने धर्मपिपासुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सुख पूर्णता में है, हमें मोक्ष का आनंद लेना है पर नहीं ले पायेंगे क्यों कि यह कलिकाल है, कलिकाल में पूर्ण सुख नहीं मोक्ष भी नहीं। हम दुखों से मुक्त होना चहते हैं पर नहीं हो पायेंगे क्यों प्रकृति अपना नियम नहीं बदल सकती। प्रकृति कहती कितनी भी साधना कर लो पर मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। तो क्या हम साधना करना छोड दें, अच्छी भावनायें करना छोड दें। भक्त कहता मैं भगवान बनने की इच्छा नहीं छोड पाउॅगा, चाहे साक्षात भगवान भी कहें उधर प्रकृति ने घोषणा कर दी लाख उपाय करें पर कलिकाल में भगवान नहीं बन पाओगे। अब दोंनों में कौन पीछे हटे। प्रकृति ने कहा साधना करते रहो क्यों कि किया गया पुरूषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता। आज मोक्ष नहीं पर मोक्ष का मार्ग तो है धीमी गति है पर रास्ते पर हॅू भगवान नहीं बन सकता पर भगवान को पहचान तो लिया ये क्या कम खुशी की बात है चाल चींटी की पर सच्चे रास्ते पर है। जब भी रास्ते खुलेंगे मोक्ष का दरवाजा खुलेगा सबसे पहले पहुॅचने वालों में तुम्हारा नाम भी होगा। साधना ही साधक को महान बनाती है। मुनिश्री ने कहा कि मंदिर पाठशाला है घर प्रयोगशाला। मंदिर में हम भगवान के सामने शान्त बैठते हैं, क्रोध भी नहीं करते अहंकार भी नहीं क्यों कि हम भगवान के मंदिर में बैठे हैं। भगवान के सामने शान्त चित्त रहना बहुत बडी उपलब्धि है। मंदिर में किया गया आचरण बाहर भी झलकना चाहिए यही मंदिर जाने की उपलब्धि है। आज का मानव बहुरूपिया है कहां किससे कैसा काम निकालना है वैसा ही रूप बना लेता है, भगवान के सामने भोला भाला, पर संसार में नाना रूपों को धारण करके अपना काम सिद्ध करता रहता है। कभी क्रोधी बन जाता है कभी मानी कभी मायाबी तो कभी लोभी कभी क्षमाशील, कभी बिनम्र कभी सरल तो कभी पवित्र। इसी मौका परस्ती के कारण वह दुखी है। शान्तिधारा के उपरान्त जनमानस को संबोधित करते हुए नगर गौरव पूज्यसागर महाराज ने कहा कि कई युगों के बाद मुनि सुधासागर महाराज जैसे संत पैदा होते हैै जिनहोंने हर क्षेत्र में जिन शासन की प्रभावना की है। संस्थान के माध्यम से हजारों विद्वान तैयार किए हैं जो आज धर्म प्रभावना कर रहे हैं इनका उपकार कभी नहीं चुकाया जा सकता है। मुनि पूज्यसागार ने कहा कि अगर धनिक वर्ग अपने बच्चों को संस्थन में पढाये ंतो आज की पीढी संस्कारवान होकर अपने जीवन को भी सुखमय बनायेगी और आगे आने वाली पीढी भी संस्कारित बनेगी।

फोटो-पी6

कैप्सन- धर्मसभा को संबोधित करते मुनिश्री

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