संजय धर द्विवेदी
लालापुर/प्रयागराज तहसील बारा के बवंधर ग्राम निवासी पं सत्यनारायण मिस्र के पांच संतानों में दूसरे नंबर के पुत्र पं राम प्रताप कुशाग्र बुद्धि, स्पष्टवादी, दृढ़निश्चयी क्रांतिकारी व्यक्ति थे। उनका जन्म 1915 में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। अन्याय के विरुद्ध निरंतर लड़ते रहना ही उनकी पहचान थी।जमींदारों एवं उनके करिंदो का विरोध ने ही उनको गरीबों का अगुआ बना दिया।
"जमींदारों को लगान देना बंद करो" के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए लालापुर की सभा में महावीर के साथ अंग्रजों द्वारा बंदी बना लिए गए और जिला कारागार में 7 माह की सश्रम सजा भुगती। जेल यातना से निखर क्रांति पथ पर निरन्तर अग्रसर रहे। कांग्रेस के संगठन में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए लालापुर मंडल के प्रथम अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए। उसके बाद गौ हत्या बंद करो आंदोलन में प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के आवाह्न पर कांग्रेस छोड़ दिया। खिन्नी ग्राम में शंकरगढ़ राजपरिवार द्वारा रामलीला आयोजित किया जाता था जिसमें राजपरिवार के प्रतिनिधि अथवा स्वयं महाराजा शंकरगढ़ धनुष यज्ञ के दिन आते थे। यहीं से आप महाराव कमलाकर सिंह जूदेव के करीब आए। अपनी स्पष्टवादिता से महराज के आप इतने प्रिय हुए कि राजा ने इन्हे 7 बीघे से 500 बीघे का किसान बना दिया। सक्रिय राजनीति से अलग होते हुए भी राजनीति में निरन्तर रुचि रखते थे। चुनाव प्रचार में आए बहुगुणा जी ने स्वतंत्रता सेनानी रामप्रताप से मिलने बात कहने पर उनके साथ चल रहे लोगों ने रोका किंतु बहुगुणा जी ने कहा कि रामप्रताप जी से जरूर मिलूंगा मुझे स्पष्टवादी लोग बहुत पसंद हैं। बहुगुणा जी की सार्थक सोच के परिणामस्वरूप स्वतंत्रता सेनानी रामप्रताप जी बहुगुणा जी के साथ हो लिए और आजीवन उनके साथ बने रहे।
बीमारी के दौरान स्वरूप रानी मेडिकल अस्पताल में भर्ती स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का इलाज चल रहा था। कमला बहुगुणा ने अधीक्षक को विधिवत् परीक्षण कर इलाज हेतु निर्देश दिया। बीमार सेनानी से मिलने राजा शंकरगढ़ भी अस्पताल पहुंचे।स्वरूप रानी मेडिकल अस्पताल में उपचार के दौरान ही 10 सितंबर 1976 को अंग्रेजों से लोहा लेने वाले आजीवन हार न मानने वाले भारत माता के वीर सपूत काल के सामने असहाय हो गए।
उनके ही पद चिन्हों पर चलते हुए उनके वंशज आज भी क्षेत्र में समाज सुधार, समाज सेवा व शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं।
उनके पुत्र अवधेश मिश्रा ने क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार करने के लिए उनके नाम पर "स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम प्रताप मिश्र जूनियर हाईस्कूल" व "स्वत्रंता संग्राम सेनानी राम प्रताप मिश्र प्राइवेट आई टी आई कालेज" की स्थापना की। जिसके प्रबंधक उनके पौत्र चंद्रकांत मिश्र (बबलू मिश्र) हैं।