इन्द्रपाल सिंह 'प्रिइन्द्र'
कलाकारों का अभिनय देख हैरत में पड़े लोग
ललितपुर। रामलीला के आठवें दिवस में सीता हरण एवं राम सुग्रीव मित्रता की लीला का आयोजन किया गया। श्री नृसिंह रामलीला समिति तालाबपुरा ललितपुर के तत्वाधान में आयोजित रामलीला के आठवें दिन में तालाबपुरा स्थित श्री नृसिंह रामलीला मैदान में सनातन धर्म की परंपराओं को जीवित रखने के लिए कलाकारों द्वारा नित नए वर्णनो को मंचित कर लोगों को धर्म के प्रति समर्पित होने का संदेश दे रहे हैं। रामलीला मंच के दौरान जिस प्रकार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम माता जानकी व लक्ष्मण का चित्रकूट में भरत मिलाप होता है उसे देख कर भाइयों में स्नेह की भावना का संदेश दिया गया इसी क्रम में आज कलाकारों द्वारा मंच से बेहतरीन अभिनय करते हुए सीता हरण एवं राम सुग्रीव मित्रता की लीला का आयोजन किया गया। लीला के प्रथम दृश्य में भगवान श्री राम माता सीता एवं लक्ष्मण जी कुटी के बाहर विश्राम करते हैं तभी वहां पर सूर्पनखा आ जाती है और प्रभु श्री राम को देखते ही उन पर मोहित हो उठती है। और उनके पास जाकर शादी का प्रस्ताव रखती है जिस पर प्रभु श्री राम उसे लक्ष्मण जी के पास भेज देते हैं पर लक्ष्मण जी द्वारा मना करने पर भी सूर्पनखा हट करती है तब क्रोध में आकर लक्ष्मण जी सूर्पनखा की नाक कान काट देते हैं । सूर्पनखा रोती हुई अपने भाई लंकापति रावण के पास जाती है और पूरी कहानी सुनाती है जिस पर रावण क्रोधित हो उठता है और अपने मामा मारीच के द्वारा मायाजाल के तहत मृग का भेष धरकर प्रभु श्री राम की कुटिया के पास जाता है जिसे माता सीता देखकर माता सीता मन मुग्ध हो जाती है और अपने प्राण प्रिय भगवान श्रीराम से उस मृग की शाल के लिए जिद करती हैं जिस पर प्रभु श्री राम मृग को पकडऩे के लिए वन में जाते हैं काफी समय बाद जब राम वापस नहीं आते हैं तब हाय लक्ष्मण हाय लक्ष्मण की आवाज सुनकर सीता माता के लिए संदेह होता है और अपने देवघर लक्ष्मण जी से प्रभु की रक्षा के लिए वन में भेज देती हैं लेकिन वन जाने से पहले लक्ष्मण जी कुटिया के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच देते हैं और माता सीता से कह जाते हैं वह किसी भी परिस्थितियों में इस रेखा को पार ना करें उनके जाते ही वहां पर साधु के भेष में रावण आ जाता है और लक्ष्मण रेखा के कारण रावण कुटिया में प्रवेश नहीं कर पाता और बाहर से ही भिक्षा मांगता है जिस पर माता सीता रावण को भिक्षा देने के लिए बाहर आती हैं तो साधु के भेष से रावण असली रूप में आ जाता है और माता सीता का हरण करके लंका ले जाता है। लीला के दूसरे दृश्य में राम और सुग्रीव की मित्रता की लीला दिखाई गई। रामलीला के दौरान मुख्य संरक्षक भगवत नारायण अग्रवाल एड., अध्यक्ष नरेंद्र कड़की, कोषाध्यक्ष अखिलेश पाठक, महामंत्री प्रभाकर शर्मा एड., उप मुख्य संरक्षक पवन कुमार जायसवाल एड., गोविंद नारायण सक्सेना, सुनील शर्मा, गीता देवी यादव पार्षद, शिवानी पाठक पार्षद, पप्पू राजा, रमेश यादव, सरदार हरजीत सिंह, राजू सिंधी, असलम कुरैशी, संतोष कुमार जैन, अनुपम कुमार जैन, संतोष साहू, संजय डयोडिया, गजेंद्र सिंह बुंदेला, पुष्पेंद्र राजपूत, पन्नालाल साहू, गिरीश पाठक, चंद्रशेखर राठौर, रवि तिवारी, प्रदीप शर्मा, रामगोपाल नामदेव, कन्हैया लाल नामदेव, जगदीश पाठक, कृष्णकांत तिवारी, पात्र कृष्ण बिहारी मिश्रा, आसाराम सेन, देवी कुशवाहा, मर्दनसिंह यादव, आशीष तिवारी, मनीष पाठक, कलाकार भगवान, गणेश की भूमिका में कमलेश पाठक, रामरूद्र, प्रताप सिंह, लक्ष्मण वेदांश चौबे, सीता कृष्ण प्रताप, सूर्पनखा त्रिवेणी राजा, सबरी मनीषा, हनुमान कृष्णकांत तिवारी, सुग्रीव प्रदीप गोस्वामी, रावण, विजयकांत सुडेले, मारीच रोहित चतुर्वेदी, मीडिया प्रभारी अमित लखेरा, पंकज रायकवार आदि मौजूद रहे।

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