राकेश केशरी
देबी गीतो से गुजायमान रहा वातावरण
कौशाम्बी। जिलें के कडाधाम स्थित मांता शीतला मंदिंर,मंझनपुर स्थित दुर्गा मंदिर,पश्चिमशरीरा स्थित झारखण्डी मांता मंदिर सहित अन्य देबी मंदिंरो व पूजा पंण्डाल में नवरात्र पर्व के नौवें दिन मंगलवार को देबी भक्तों ने मां के सिद्विदात्री स्वारूप की पूजा-अर्चना की। पुराणो के अनुसार नवदुगार्ओं में माँ सिद्धिदात्री अंतिम हैं। अन्य आठ दुगार्ओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री माँ की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री माँ के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से माँ भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनके कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। माँ भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। माँ के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए भक्त को निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करने का नियम कहा गया है। ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। विश्वास किया जाता है कि इनकी आराधना से भक्त को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर माँ की कृपा का पात्र बन सकता ही है।
हवन पूजन में उमडी भक्तो की भीड
जिलेभर के देबी मंदिरो व पूजा पाण्डालो में नवरात्रि के अतिंम दिन देबी भक्तो ने मां सिद्विदात्री का पूजन व हवन कर अपने व्रत का पारण किया। इस दौरान देबी भक्तो के द्वारा कन्या भोज व भण्डारे का भी आयोजन किया गया।
सकरा बाबा में उमडा भक्तो का रेला
अझुवा नगर पंचायत के सकरा बाबा देव स्थान पर नवमी के दिन भक्तों की अपार भीड़ रही और भक्तों ने प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद लिया। भक्तो ने अपनी मनौती के अनुसार कोई बकरा तो कोई सकरा तो कोई घंटा तो कोई लड्डू बतासा चढाया। क्षेत्रीय लोगो के अनुसार भैरों बाबा देव स्थान पर (109) वर्ष पुराना बरगद का पेड़ है। बताया जाता है कि बगल से निकली रेलवे लाइन जब बिछाई गई,और इस पटरी पर टेंस्टिग की गई तो मालगाडी इस स्थान पर आकर रूक गई। रेलवे कर्मियो के तमाम प्रयास के बाद भी मालगाडी न तो आगे बड रही थी,और न ही पीछे जा रही थी। तब रेल अधिकारियो ने इसी बरगद के पेड पर सकरा चढाया,जिसके बाद मालगाडी चल पडी। तभी से इस स्थान का नाम सकरा बाबा पड गया।
दुर्गा पंडाल में बच्चों ने मचाया धमाल
करारी नगर पंचायत कार्यालय में सजाये गये पूजा पाण्डाल में अष्टमी की रात को बच्चों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम पेश किया,रन्नो देवी ने कृष्ण व तनिष जायसवाल ने सुदामा की मित्रता का भावपूर्ण मंचन किया। आस्था जायसवाल ने काली का स्वांग रचकर नृत्य पेश किया तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। राशि देवी ने कृष्ण व नैनो केशरवानी ने राधा के वेश में अरे रे मेरी जान है राधा के गाने पर मनमोहक नृत्य पेश कर खूब वाहवाही लूटी। कृष्णा चैरसिया ने उन्नति,जीनी,भूमि,बेबो,मानशी व प्रतीक्षा के साथ शिव तांडव कर लोगो को मंत्रमुग्ध कर दिया।
महा श्रंगार के बाद माता शीतला को चढाया गया छप्पन भोग
शक्तिपीठ कड़ाधाम में शारदीय नवरात्रि के अष्टमी पर्व सोमवार की अर्धरात्रि को कडेवाशिनी का अद्भभुत भब्य श्रंगार हुआ जिसमें छप्पन प्रकार का भोग पुजारी द्वारा माता को लगाया गया। जिले के अलावा अन्य जनपदों से भोर से ही भक्तों ने पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हुए मां कड़ा वासिनी का दर्शन पूजन कर आशीर्वाद लिया। भक्तों ने गंगा स्नान के बाद दान दक्षिणा कर मां शीतला का पूरे विधि विधान के साथ पूजन अर्चन किया। भोर से ही भक्त मां के दर्शन पूजन के लिए लाइन में कतार बद्ध होकर खड़े नजर आए। भक्तों ने सोमवार को बारी बारी से मां महागौरी के स्वरूप में मां कड़ा वासिनी का दर्शन पूजन कर आशीर्वाद लिया। इस दौरान पूरा धाम परिसर मां के जयकारों से गुंजायमान होता रहा। वहीं मध्यरात्रि को मां का भव्य श्रंगार पूजन कर छप्पन भोग लगाया गया। देर रात मन्दिर के कपाट को बंद कर पूरे मन्दिर परिसर की पवित्र जल से धुलाई कराई गई। महाष्टमी के पर्व पर पूरे मन्दिर परिसर की आकर्षक साज सज्जा की गयी। मध्य रात्रि को मां शीतला का पूरे विधिविधान के साथ पूजन अर्चन कर महा श्रंगार किया गया। महाष्टमी पर्व पर मां को छप्पन प्रकार का भोग लगाया गया। भक्तों ने मां की भव्य आरती कर परिवार की कुशलता के लिए मंगल कामना की। इस दौरान पूरा मन्दिर परिसर घण्ट-घड़ियाल, शंखनाद व मां के जयकारों के गुंजायमान रहा। पूजन-अर्चन के बाद भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं मन्दिर परिसर में आयोजित वाराणसी से आये भजन गायको ने जगराते में भक्तों को भजन के माध्यम से मंत्रमुग्ध कर दिया श्रद्धालु भी बीच बीच में ने भी झूमकर नाचते नजर आए।