राकेश केसरी
शासन प्रशासन और विभागीय जिम्मेदारों की उपेक्षा का हो रही शिकार
कौशाम्बी। जनपद में अलवारा गांव के समीप एक अलवारा नाम की ऐतिहासिक झील स्थित है यह एक बारहमासी जल भराव के लिए जानी जाती है यह झील यमुना नदी से जुड़ी हुई है स्थानीय रूप से इसे अलवारा ताल भी कहा जाता है, इस झील का जल स्तर ग्रीष्मकाल में गिर जाता है लेकिन वर्षा ऋतु में काफी बढ़ जाता है बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में कौशाम्बी जिले मंझनपुर तहसील अंतर्गत महेवाघाट घाट थाना क्षेत्र में लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित अलवारा झील एक प्राकृतिक रूप से बनी झील है, यह झील लगभग 2200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है इस झील के पूर्व में पौर काशी रामपुर, उत्तर में टीकारा, दक्षिण में शाहपुर गांव और पश्चिम में यमुना नदी से घिरी हुई है। इस झील कुछ लुप्तप्राय पौधों की प्रजातियों जैसे पाडबेल, जलकुंभी, काटनग्रास, मैंग्रोव, डैक्टिलोरिथस, कमल, सीतनिक और कुछ संकटग्रस्त पक्षियों की प्रजातियों जैसे सारस क्रेन की मौजूदगी इस बारहमासी आर्द्रभूमि वाली झील की विशेषता है, सर्दियों में लगभग 25 हजार स्थानीय एवं प्रवासी साइबेरियन पक्षी यहां आते हैं, इस झील में वनस्पतियों और जीवों की विशाल श्रृंखला है, जिसकी विविधता कई भौतिक रासायनिक विशेषताओं से प्रभावित है अलवारा झील की प्राकृतिक छटा गतिशील है जो निकटवर्ती यमुना नदी से वार्षिक बाढ़ द्वारा निर्मित होती है।
यह झील शासन प्रशासन और विभागीय जिम्मेदारों की उपेक्षा का शिकार हो गई है जिससे इस झील का अस्तित्व संकट में है झील को विशेष प्राथमिकता की आवश्यकता है, यह अलवारा झील प्रयागराज से लगभग 75 किमी की दूरी पर है जिला मुख्यालय मंझनपुर से इसकी दूरी 25 किमी है, प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सड़क मार्ग से इसकी दूरी 290 किमी बताई जा रही है, इसका निकटतम रेलवे स्टेशन भरवारी है जिसकी दूरी 35 किमी है और निकटतम हवाई अड्डा बम्हरौल है जो इस झील से 70 किमी की दूर प्रयागराज में स्थित है।