राकेश केसरी
कौशाम्बी। यमुना की तराई में आबाद गांवों के पशुपालक मवेशियों की सेहत व बीमारियों को लेकर बेहद फिक्रमंद है। उन्हे पशुओं के इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। पशु अस्पताल न होने से तिरहार के किसान काफी परेशान है। ढेरहा, मवई, जमुनापुर, महेवा, उमरावां, मुबारकपुर, शाहपुर, भवनसुरी, हटवां, रानीपुर, रायपुर व घासीपुर आदि गांव यमुना के तराई क्षेत्र में बसे है। यहां के पशुपालक मवेशियों के इलाज के लिए परेशान है। इलाज के अभाव में अधिकांश मवेशी काल कवलित हो जाते है। बताया जा रहा है कि बैरागीपुर चैराहे पर कई वर्ष पहले छह बिस्वा जमीन पशु अस्पताल के लिए अधिग्रहीत की गई थी लेकिन आज तक अस्पताल नहीं बना। इससे पशुपालकों को मजबूरन झोलाछाप डाक्टरों की शरण में जाना पड़ता है या फिर पशुपालक पंन्दह से बीस किलोमीटर की दूरी तय कर पश्चिमशरीरा पशु अस्पताल अपने मवेशी को इलाज हेतु ले जाते है।