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केबिल नेटवर्क का खेल-शासन को लाखों का चूना

Friday, October 21, 2022

/ by Today Warta



राकेश केसरी

नेटवर्क में खराबी आने पर विद्युत विभाग देता हैं शटडाउन

कौशाम्बी। जिला मुख्यालय मंझनपुर के विद्युत एंव टेलीफोन खंभों पर केबिल नेटवर्क का जाल बिछा है वह भी बिना परमीशन के। इससे शासन को प्रतिवर्ष लाखों का चूना लग रहा है। वही शासनादेश को ताक पर रखकर स्थानीय स्तर पर खम्भों पर होडिग्स टांग कर प्रचार-प्रसार हो रहा है। बता दें कि जिले के मनौरी, सराय अकिल,मंझनपुर,भरवारी,सिराथू,अझुवा आदि मे केबल आपरेटर हैं। केबल आपरेटरों द्वारा एक माह में औसतन 50 हजार रूपया मनोरंजन कर दिया जाता है। जो कनेक्शन के हिसाब से काफी कम है। चलचित्र विनियम अध्यादेश के तहत स्थानीय केबिल नेटवर्क को प्रतिवर्ष प्रति कनेक्शन 100 रुपये अलग शुल्क अनिवार्य कर दिया गया है।  इसके बाद ही एमएसओ सेटेलाइट से संकेतों को संकलित कर आपरेटर को प्रसारित कर सकते हैं। यही नहीं मुख्यालय मंझनपुर के सभी विद्युत पोलो पर अस्थाई रूप से पोस्टर बैनर या केबिल लगाने के लिए विभाग की अनुमति अनिवार्य है। इसके लिए प्रति पोल प्रतिवर्ष साठ रुपये शुल्क निर्धारित है लेकिन यहां विभाग से न अनुमति ली गई है और न ही शुल्क जमा हो रहा है। यही नहीं इन्हें शट डाउन भी दिया जाता है। मंझनपुर के एसडीओ कहते हैं कि ऐसा मानवता के नाते किया जा रहा है। आखिर विभागीय लोग मानवता के नाते उपभोक्ताओं की बकाया बिल क्यों नहीं माफ कर देते हैं। क्या मानवता सिर्फ केबिल आपरेटरों के लिए ही है। सबसे अहम बात है कि दस साल से अवैध ढंग से विद्युत व टेलीफोन खंभों का उपयोग कर केबल नेटवर्क व होर्डिग्स टांग कर राजस्व की जो क्षति पहुंचाई गई है उसकी वसूली कौन करेगा। 

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विद्युत विभाग की लापरवाही,उपभोक्ताओं पर भारी

लापरवाही किसी और की भुगते कोई और। कुछ यही हाल परिलक्षित हो रहा है विद्युत विभाग के काम के तौर तरीकों से। जर्जर व लटकते तार तब तक नहीं बदले व कसे जायेंगे जब तक कि वे टूट कर गिर न जायें। ऐसे में महकमे की लापरवाही उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। विभाग को चपत लग रही है सो अलग। गौरतलब हो कि सिराथू तहसील के सांसद आर्दश ग्राम शमसाबाद में लगभग 5 किलो मीटर विद्युत तार जर्जर स्थिति में है। ये तार आये दिन एक फेस से दूसरे फेस से टकराते रहते है। आपूर्ति चालू होने के बाद तड़तड़ाहट आम बात है। जब तक तार टूटकर गिर नहीं जाते तब तक उनके सुधार की कवायद शुरू नहीं की जाती। इससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। वैसे शासन स्तर से बिजनेस प्लान के तहत जर्जर तारों को बदलने के लिए धन भी अवमुक्त हो चुका है। बावजूद इसके विभागीय उदासीनता से सिर्फ कुछ खम्भों के जर्जर तार ही बदले जा सके है। इस संबंध में अधिशाषी अभियंता ने बताया कि जर्जर तारों के बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है। जगह-जगह एरियर बंच कंडक्टर लगाये गये हैं। हालांकि ओवर लोड के चलते उनका प्रयोग सफल नहीं हो पा रहा है। 

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