इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
अखिल भारतीय प्रधान संगठन ने डिप्टी सीएम को सौंपा ज्ञापन
ललितपुर। ललितपुर ग्राम प्रधानों के संगठन अखिल भारतीय प्रधान संगठन ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को ग्राम प्रधानों की समस्याओं से संबंधित 11 सूत्रीय ज्ञापन ग्राम प्रधानों के साथ भेंट किया। जिले के अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए प्रधानों के विरुद्ध जिला स्तर पर जारी किए गए आदेशों को समाप्त किए जाने की मांग की। संगठन के प्रदेश महासचिव ने जिलाधिकारी को संबोधित एक ज्ञापन उप मुख्यमंत्री को दिया।
उन्होंने अधिकारियों के ऊपर भ्रष्टाचार में संलिप्त रहकर प्रधानों के शोषण के आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा 5 लाख रुपये तक के विकास कार्य करने के लिए प्रधानों को अधिकार प्रदान किए हैं। परंतु जिले के अधिकारी विकास कार्यों में बाधा बन रहे हैं। आरोप है कि सरकार की मंशा के अनुरूप ग्राम पंचायतों में सचिवालय , पंचायत भवन ,सार्वजनिक शौचालय जैसे निर्माण कार्यों को पूर्ण करवाया है ।भारी पेयजल संकट के समय हैंडपंप मरम्मत, रिबोर, विद्यालयों का कायाकल्प करने के लिए टाइल्स, विद्युतीकरण, सुंदरीकरण के कार्य किए गए। परंतु 2 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत होने के बाद भी उनका भुगतान नहीं किया गया। नए आदेश के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में केंद्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग से पूर्व में कराए गए जो कार्य हैं उनका भुगतान भी नहीं किया गया है ।जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा इन कार्यों पर रोक लगा दी गई है। नए स्वीकृत आदेश के अनुसार अब हैंडपंप मरम्मत, रीबोर, सीसी, पेबरब्रिक्स, नाली निर्माण के कार्यों में स्वीकृति के बाद ही कार्यों को प्रारंभ किया जा सकेगा। ऐसी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल का संकट उत्पन्न होने के साथ-साथ साफ सफाई व्यवस्था भी चौपट हो जाएगी। शासनादेश के अनुसार 5 कार्य करवानेे के अधिकार ग्राम प्रधान को दिए गए हैं। लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की नियत से जिला स्तर पर तरह-तरह के नए आदेश जारी किए जाते हैं । विकास के कार्य कराना ग्राम पंचायतों का अधिकार है परंतु जिले के अधिकारी इसमें बाधा बन रहे हैं। आरोप लगाया कि छोटी ग्राम पंचायतों में 70 प्रतिशत मनरेगा द्वारा कराए गए विकास कार्य के निर्माण कार्यों का भुगतान 2 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी नहीं हो पाया है। प्रधानों का आरोप है कि एस्टीमेट बनाने से लेकर टीएस जांच, भुगतान और सत्यापन के नाम पर ग्राम प्रधानों का शोषण किया जाता है, अवैध रूप से धन की मांग की जाती है पैसा ना देने पर जांच में फंसाए जाने की धमकी देकर फसा दिया जाता है। ग्राम पंचायतों के विकास कार्य हेतु जोआवंटित धनराशि में कटौती की गई है। उसे पुन: लागू किया जाए ।उन्होंने ग्राम निधि की धनराशि को बढ़ाए जाने की मांग करते हुुुए सार्वजनिक शौचालय, छोटी ग्राम पंचायतों में सफाई कर्मचारी के स्थान पर स्वयं सहायता समूह द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए समूह को जो जिम्मेदारी दी गई है ग्राम पंचायत के अधिकारों का अतिक्रमण है। उन्होंने मांग की है कि बुंदेलखंड के अति पिछड़े जनपद ललितपुर में बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत विकास कार्यों हेतु अलग से अतिरिक्त धनराशि आवंटित की जाए। कई ग्राम पंचायतों में अराजक तत्वों एवं विरोधियों द्वारा कई तरह के झूठे आरोप लगाकर शिकायतें एवं सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की भी ग्राम प्रधानों ने मांग की है। उन्होंने कहा कि विरोधी लोग तरह-तरह के आरोप लगाकर ग्राम प्रधानों को बदनाम करते हैं और विकास के मार्ग में रोड़ा उत्पन्न करते हैं। ग्राम प्रधानों से जांच के नाम पर कार्य सूची के नाम पर शिकायतों के नाम पर अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा अवैध धन की मांग की जाती है। उन्होंने मांग की है कि शिकायतों को शपथ पत्र के माध्यम से लिया जाए और शिकायत के गलत पाये जाने पर शिकायत कर्ता के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाए। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायतों के श्रमिकों को रोजगार मिलता है और जो विकास कार्य अति आवश्यक है जैसे स्कूल में पुलिया निर्माण, संपर्क मार्ग ,ग्राम पंचायत में राजस्व ग्रामों को ग्राम पंचायतों तक जोडऩा, आवागमन के रास्ते बनाना, अधूरे पड़े रास्तो की मरम्मत करके उनको चलने लायक बनाने के कार्यों को प्रारंभ करवाने पर काफी लाभ हुआ है। उन्होंने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और ग्राम प्रधानों के उत्पीडऩ पर रोक लगाने की मांग की है। ताकि विकास का पहिया चलता रहे।