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महर्षि वाल्मीकि जयंती पर संगोष्ठी हुई संपन्न

Sunday, October 9, 2022

/ by Today Warta



प्रयागराज में सम्मानित साहित्यकारों ने किया जनपद को गौरवान्वित

सुल्तानपुर: अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वाधान में आदि कवि  महर्षि वाल्मीकि जयंती पर परिषद के अध्यक्ष आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु के आवास विक्रम भवन कादीपुर सुल्तानपुर पर गोष्ठी सकुशल संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता लोक भूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने किया और विचार गोष्ठी का संचालन डा करुणेश भट्ट एवं कवि गोष्ठी  का कुशल संचालन श्री जटायु जी ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य भूषण डॉ सुशील कुमार पांडे साहित्येन्दु मंचासीन रहे।  उक्त कार्यक्रम की शुरुआत बृजेश कुमार पांडेय इन्दु सुल्तानपुरी के-त्याग बलिदान की कहानी हूं मैं, वाणी बंदना से हुई। करुणेश भट्ट ने -स्वार्थ में ढलता रहा है आदमी,पवन कुमार सिंह -वाल्मीकि जी आदि कवि, अनिल कुमार वर्मा मधुर ने -वेदना के विहग से पीड़ित हुआ, राजबहादुर राना -ओ हिंदुस्तान कहां है , सर्वेश कांत वर्मा सरल ने -मैं कलम को गन बनाने जा रहा हूं, आशुकवि जटायु ने -कैसे महलों के गीत भला कवि गायेगा और अशोक आचार्य अनंत ने- माई मोरी कोंखिया में जिन मोहिं मारा एवं ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि ने हाइकु जैसी रचनाएं, कविताएं पढ़ीं। डॉ राम प्यारे प्रजापति ने वाल्मीकि के जीवन पर विचार व्यक्त करते कहा इंसान डाकू रत्नाकर से वाल्मीकि बने विद्वान की तरह अपने व्यक्तित्व में बदलाव ला सकता है। ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि वाल्मीकि चाहे जैसे रहे हों उससे अधिक मायने ये रखता है कि उनके द्वारा लिखे गये उच्च आचरण का अनुसरण करना। डॉ सुशील कुमार पांडे साहित्य ने वाल्मीकि जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रभावशाली प्रकाश डाला और जनपद सुल्तानपुर के साहित्यकारों की परिचयात्मक डायरेक्टरी चेतनता में शामिल होने के लिए जीवन परिचय और दो रचनाओं को जल्द उपलब्ध कराने की अपील किया। तारिका विचार मंच प्रयागराज ,आनिल अभिव्यक्ति धामपुर, साहित्यान्जलि प्रभा प्रयागराज के संयुक्त तत्वाधान द्वारा डॉ राम प्यारे प्रजापति को हिंदी बारिधि सम्मान से, अवध साहित्य अकादमी प्रयागराज द्वारा पाठय् पुस्तक लेखक सर्वेश कांत वर्मा सरल एवं अनिल कुमार वर्मा मधुर  को अनन्य हिंदी सहयोग सम्मान से सम्मानित होने पर शुभकामनाएं ज्ञापित कर संयोजक/ संपादक साहित्यान्जलि प्रभा पत्रिका डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय का आभार प्रकट किया। अपने अध्यक्षीय विचार में श्री प्रदीप जी ने कहां राजा भोज कहां गंगू तेली कविता पढ़ते हुए, राष्ट्र हित, समाज हित और मानव कल्याण के लिए साहित्य के योगदान के लिए साहित्यकारों का आह्वान किया। नागेन्द्र विक्रम सिंह सहित श्रोताओं की  उपस्थिति गौरवपूर्ण रही।

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