राकेश केशरी
कौशाम्बी। जिला महिला अस्पताल में बाहरी दवायें लिखाना अनिवार्य है। गर्भवती महिलाओं को खून की भारी कमी बताकर और सामान्य रोगियों को किसी न किसी बहाने सरकारी पर्चे के साथ मेडिकल स्टोर की पर्ची थमा दी जाती है। लंबे समय से यह ढर्रा चल रहा है लेकिन जिम्मेदार गंभीरता से संज्ञान नहीं ले रहे जिसके चलते लोगों की जेबें ढीली हो रही है। सरकारी अस्पतालों में बाहरी दवायें लिखने की सख्त मनाही है लेकिन यहां यह बात लागू नहीं दिखती। ओपीडी में बैठकर ज्यादातर चिकित्सक बाहर की दवायें लिखने में ही रुचि दिखाती है। जो महिलायें सरकारी दवाओं पर ही पूरा भरोसा जताती है उन्हे भी चिकित्सक निजी फायदे के उद्देश्य से बाहर की दवायें खरीदने को बाध्य करती है। बाहरी दवाओं पर बंधे कमीशन के चक्कर में अमीर गरीब का भेद किये बिना गर्भवती महिलाओं को खून की भारी कमी बतायी जाती है। रक्त की भरपाई के लिए सरकारी दवाओं को नाकाफी बताकर मेडिकल स्टोरों से महंगे सीरप और पाउडर खरीदने को मजबूर किया जाता है। डाक्टरों द्वारा रोगियों को इतना भयभीत किया जाता है कि वे बाजार की दवायें खरीदने में ही अपनी भलाई समझते है। जबकि महिला डाक्टरो का कहना है कि रोगी उनसे बाहरी दवायें लिखने का आग्रह करते है इसलिए वे महंगी दवायें लिखती है। उनकी व्यक्तिगत रुचि बाहरी दवायें लिखने में नहीं है।
रात में होगी डॉक्टरों की तलाश
रात में स्वास्थ्य केंद्रों से गायब रहना अब डॉक्टरों को भारी पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने अपनी छवि सुधारने के लिए नया कदम उठाया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब रात में डॉक्टरों की तलाश होगी। साथ ही मोबाइल से उनकी लोकेशन जानने का प्रयास किया जाएगा। स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार किये के सरकार के सकेंत आने के बाद सीएमओ डा0 सुष्पेन्द्र ने सभी सीएससी/पीएचसी प्रभारियो को अपने.अपने नियुक्ति वाले अस्पतालों में 24 घंटे रहने के निर्देश दिये है। साथ ही कहा यह भी कहा है की यदि उनके रात्रि कालीन निरीक्षण मे कोई भी चिकित्सक अपने नियुक्ति वाले अस्पताल में नही मिलता है तो उसके विरुद्व कार्रवाई की जायेगी।