राकेश केशरी
कौशाम्बी। धरा के स्वरूप को सुंदर रूप देने वाले वृक्ष कमाई का जरिया बनकर रह गए हैं। लकड़ी तस्करों द्वारा हरे पेड़ों का अंधाधुंध कटान से जिले में वृक्षों की संख्या दिनों दिन कम होती जा रही है। यही नहीं वन क्षेत्र बढ़ाने के नाम पर अधिकारी पौधरोपण में भी खेल कर रहे हैं। गत वर्ष जिले में कागजों में ही लाखो पौधे रोप दिए। वही वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि पिछले वित्तीय वर्ष एक हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधरोपण का लक्ष्य मिला था, जबकि मनरेगा योजना के अंतर्गत रोपे गए पर धरातल पर देखा जाए तो वहां मात्र बीस फीसदी पौधे ही जिंदा हैं। जिले में वनों का कटान जोरों पर है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में लकडियां भरकर रातों-रात सप्लाई कर दी जाती है। खास तो यह है कि हरे वृक्षों को सूखा दर्शा दिया जाता है और बाग के बाग धराशायी कर दिए जाते हैं। यानी कि पेड़ सूख रहे हैं और नोट हरे और खरे होकर जेबों में जा रहे हैं। इस संबध मे डीएफओ का कहना है कि गत वित्तीय वर्ष में लगाए गए पौधों में से सत्तर प्रतिशत पौधे जिंदा हैं। बाकी के मरने का कारण बजट की कमी थी। यदि वन कटान की शिकायत उन्हें मिलती है तो तुरंत कार्रवाई की जाती है।