राकेश केसरी
कौशाम्बी। ग्रामीण क्षेत्र में आज भी शौच के लिए महिलाए, पुरुष व बच्चों को खुले में जाना पड़ता है। कई सरकारी स्कूलों की स्थिति भी बेहद खराब है। ऐसे में छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों को भी परेशान होना पड़ता है। ंस्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, बनाने की योजना लेकर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन अधिकांश कार्य मात्र कागजों में ही हो रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ो गांवों की महिलाएं व पुरुष खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। वहीं, सरकारी स्कूलों में बने शौचालय मात्र सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। सिराथू,मंझनपुर,चायल तहसील क्षेत्र के गांव दर्जनो प्राथमिक विद्यालय का शौचालय ध्वस्त हैं। यहां पढने वाले छात्रों के साथ-साथ अध्यापकों को भी गांव के ही बने मकानों में शौचालय जाना पड़ता है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में कई बार शौच के लिए जाने वाली महिलाओं व किशोरियों के साथ अप्रिय घटनाएं घट चुकी हैं। उसके बाद भी कोई सीख नहीं ली गई है। स्कूलों के शौचालयों को ठीक कराने को लेकर कई बार स्थानीय संबंधित अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है,लेकिन उसके बाद भी कोई कार्य नहीं किया गया है।