राकेश केसरी
कौशाम्बी। अपने संसदीय क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चला चुके सांसद विनोद सोनकर का स्वच्छता राग सरकारी कार्यालयों को रास नहीं आ रहा है। इसका जीवंत उदाहरण विकास भवन व जिलाधिकारी कार्यालय में देखा जा सकता है। विकास भवन में जाने पर तो सीधे अंग्रेज युगीन समय याद आने लगता है। जगह-जगह पान की पीक, कूड़ा और इधर-उधर रखी आलमारियां लोगों को यहां आने से रोकती हैं। मजबूरन यहां आने वाले लोगों का काम एक बार में शायद ही होता हो लेकिन उन्हें गंदगी की वजह से रोग अवश्य हो जाता होगा। विभाग की स्थिति बेहद दयनीय बना दी गई है। बहुमंजिली इमारत के रूप में स्थापित विकास भवन की कोई भी मंजिल स्वच्छ नहीं दिखाई देती। सिर्फ गंदगी ही नहीं कार्यालय में रखी आलमारियों को इतने बेतरतीब रखा गया है कि चार सौ वर्ग मीटर का कमरा चार-पांच लोगों के आने पर भर जाता है। टूटी कुर्सियां व फर्श बिखरा कूड़ा यहां आने वालों का स्वागत करता है। यही हाल जिलाधिकारी कार्यालय का भी है। भवन के कर्मचारी अपने सांसद के स्वच्छता अभियान पर पान की पीक उड़ेल रहे हैं।