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दोआबा में फिर चल निकला मिट्टी खनन का सिलसिला

Friday, November 11, 2022

/ by Today Warta



राकेश केसरी

चायल इलाके में धड़ल्ले से चालू है मिट्टी का अवैध खनन

कारोबारी बगैर रॉयल्टी जमा किए बिना ही संचालित कर रहे धंधा

चायल,कौशाम्बी। दोआबा में अवैध खनन को लेकर जिम्मेदार लोग संजीदगी नहीं बरत रहे है। इससे बालू घाट ही नहीं मिट्टी का भी अवैध तरीके से खनन कर नियम और मानक का उलंघन किया जा रहा है। इससे इलाके के तालाब, पोखर और सार्वजनिक जमीने सुरक्षित नहीं है। भू माफिया जेसीबी मशीन लगाकर रात में अवैध तरीके से मिट्टी की खोदाई कर रहे है। इतना ही नहीं इस खेल में तहसील के स्थानीय अधिकारी और पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी संलिप्त है। इलाके में हो रहे मिट्टी के अवैध खनन को लेकर इलाके के लोगों ने विभाग के स्थानीय अधिकारियो ंसे शिकायत किया है,लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है। आलम यह है कि इलाके में प्रतिदिन मिट्टी का अवैध खनन की धरती की कोख को खोखला किया जा रहा है। चायल तहसील इलाके में भारी मात्रा में मिट्टी का अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है। इस खेल में तहसील के जिम्मेदार अधिकारी से लेकर इलाके में सक्रिय भूमाफिया तक पूरी तरह से सक्रिय है। इलाके में सक्रिय माफिया रातो रात अधिकारियों से सेटिंग कर जेसीबी मशीन लगाकर मिट्टी की निकासी कर रहे है। इलाके में सरकारी तालाब, बंजर जमीन, सार्वजनिक जमीनों पर डेरा जमा चुके माफिया प्रतिदिन प्रशासनिक अधिकारियों और इलाकाई पुलिस से मिलीभगत करके जमकर मिट्टी का अवैध खनन कर रहे है। मामले की कई बार शिकायत अधिकारियों से की गई है लेकिन शिकायत के नजर अंदाज हो जाने से मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। पिछले करीब एक माह से बंद यह खेल का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। इलाके के कोइलहा, काजीपुर, भीटी देह माफी, समसपुर, चरवा, इमामगंज आदि इलाकों में स्थापित ईंट भट्ठा मालिक भी इस धंधे में संलिप्त होकर धरती की कोख को खोखला करने में लगे हुए है। 

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मिट्टी खनन के लिए क्या है मानक?

दोआबा में सक्रिय मिट्टी का खनन करने वाले माफिया नियम और मानकों को दरकिनार किए हुए है। उनके इस कारनामें में मानक क्या है यह मायने नहीं रखता है। वैसे तो प्रशासनिक तौर पर मिट्टी का खनन करने के लिए प्रशासन ने मानक और विभिन्न मापदंड निर्धारित किए है। लेकिन इन मानदंडों का दोआबा के कारोबारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। रजिस्टर्ड फर्म के अलावा हलफनामा के साथ अर्जी प्रार्थना पत्र,भूमि तालाब और कस्बों के अलावा बस्ती से सटी हुई न हों। भूमि में से दो फिट से ज्यादा खोदाई न हो। फर्म जिला पंचायत में प्रतिवर्ष रायॅल्टी जमा करती हो। मिट्टी गैर जनपद में न ले जाई जा रही हो। 


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