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बिना रजिस्टेशन के अस्पतालों में हो रही मौत,किस पर दर्ज होगा मुकदमा

Wednesday, November 23, 2022

/ by Today Warta



राकेश केशरी

एनजीटी के नियम के विपरीत चल रहे अस्पतालों को बंद कराने की अग्निशमन विभाग ने महीनों पूर्व डीएम सीएमओ से की थी सिफारिश

कौशाम्बी। जिले में स्वास्थ्य विभाग में दर दर पर कानून नियम का उल्लंघन हो रहा है,मुख्य चिकित्सा अधिकारी अवैध कार्यों में लगे लोगों पर कार्यवाही करने से भय खा रहे हैं,जिसके चलते अवैध तरीके से अस्पतालों का संचालन बन्द नही हो रहा है,जहां इलाज के दौरान बेवजह मरीजों की मौत हो रही है,अस्पतालों से लेकर सीएमओ कार्यालय तक आंकड़े गायब कर दिए जाते हैं,आखिर बेवजह मरीजों की मौत के बाद मौत का जिम्मेदार कौन होगा,मौत के बाद मुकदमा किस पर दर्ज होगा इस सवाल का जवाब देने वाला कोई नहीं है। जिले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद अवैध क्लीनिक नर्सिंग होम झोलाछाप डॉक्टरों के अस्पताल में मरीजों का इलाज करने में बाढ़ आ गई है,एनजीटी के द्वारा बनाए गए नियमों के विपरीत क्लीनिक और अस्पतालों का संचालन नही हो रहा है,अवैध अस्पतालों में स्प्रिंकलर सिस्टम ऑटोमेटिक नहीं लगाए गए हैं,अंदर ग्राउंड पानी के टैंक नहीं लगाए गए हैं ओवरहेड टैंक नहीं लगाए गए हैं,पंप जनरेटर प्रेशर मशीन की व्यवस्था नहीं है, बिजली से चलाने के लिए पंप प्रेशर मशीन भी नहीं लगाई गई है,सायरन पॉइंट फायर एक्सटिंग्विशर आदि सिस्टम निजी अस्पतालों में नहीं लगे हैं। वर्ष 2016 में नेशनल बिल्डिंग कोड बनाए जाने के बाद नियमों के विपरीत अस्पतालों को लाइसेंस दिए गए हैं,स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 के बाद सैकड़ों अस्पतालों के लाइसेंस हेराफेरी कर जारी किए गए,जिनमें एनजीटी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है,आखिर किस अधिकारी और कर्मचारी के दबाव में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी और लिपिक ने अवैध संचालन को बढ़ावा दिया है। अग्निशमन विभाग द्वारा जिला अधिकारी को 15 अक्टूबर को पत्र भेजकर एनजीटी के नियमों के विपरीत संचालित हो रहे अस्पतालों को बंद कराने की सिफारिश की है। एमओ को भी अग्निशमन विभाग ने अवैध अस्पताल को बंद कराने के लिए पत्र भेजा है,जिस पर सीएमओ ने फायर विभाग को वापस पत्र देकर पूछा है कि फिर इन अस्पतालों को बंद कर दिया जाए,लेकिन अस्पतालो को बंद नहीं किया गया है,जिससे अवैध क्लीनिक और अवैध अस्पतालों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मोह माया का अंदाजा लगाया जा सकता है,अब सवाल उठ रहा है कि अवैध तरीके से संचालित नर्सिंग होम क्लीनिक अस्पताल में मरीजों की मौत के बाद किस पर मुकदमा दर्ज होगा। लेकिन इस बात का उत्तर देने वाला कोई नहीं है, अवैध अस्पतालों के संचालन के बाद इलाज के दौरान मरीजों की हो रही मौत के मामले में सांसद विधायक और मंत्री ने भी चुप्पी साध रखी है,जिससे मुख्य चिकित्सा अधिकारी का मनोबल बढ़ा हुआ है और अवैध अस्पतालों के संचालन में सीएमओ सरकार के नियमों को चुनौती दे रहे हैं। अस्पतालों के अभिलेख निशांत बाबू के पास था उनका स्थानांतरण हो गया,जिसके बाद से अभिलेख विभाग में मौजूद नहीं है,लेकिन उसके बाद भी अभिलेख खोजने का प्रयास नहीं किया गया। दोषी जनों पर मुकदमा नहीं दर्ज कराया गया। बताया जाता है कि सीएमओ साहब के आगे पीछे चक्कर लगाने वाला एक लिपिक पूरी अस्पताल की व्यवस्था से करोड़ों की अवैध वसूली में व्यस्त है जिससे अवैध अस्पताल,अवैध क्लीनिक, अवैध नर्सिग होम, पर कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।

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