राकेश केसरी
कौशाम्बी। आग लगती है तो लगे कोई मरता है तो मरे, इससे विभाग अथवा सरकार की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि जिले के अस्पतालों में अग्निशमन यंत्र तो लगा दिया गया है लेकिन वह प्रभावी है या निष्क्रिय है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। सरकार द्वारा भी इस मद में कोई बजट नहीं दिया जा रहा है। निजी अस्पतालों की हालत और भी बदतर है। कुछ एक बड़े अस्पतालों को छोड़ दिया जाय तो नर्सिग होमों मे तो इसकी व्यवस्था तक नहीं है। प्रशासन पूरी तरह मौन साधे हुए है। जबकि यह लापरवाही कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। बतां दें कि जिला अस्पताल में अग्निशमन संयंत्र लगाया गया है। इसमें इमरजेंसी में एक,ओटी में 4,स्टोर रुम में दो तथा कुछ वार्डो में एक एक संयंत्र लगाया गया है। इन संयंत्रों की रिफलिंग सालो से नही हुई हैं। महिला अस्पताल में संयंत्र तो लगे थे लेकिन वर्तमान में यह रिफलिंग के अभाव में वह बेकार पड़े हैं यानि जिला अस्पताल हो महिला आग की घटना से निबटने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। सीएचसी,पीएचसी की स्थिति भी राम भरोसे है। सबसे बदतर हालात निजी अस्पतालों में है। मुख्यालय के बड़े अस्पतालों को छोड़ दिया जाय तो ग्रामीण क्षेत्रों में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। अधिकारी कहते हैं कि जब बजट ही नहीं मिलता है तो क्या करें। प्राइवेट अस्पतालों में क्या हो रहा है यह देखने की फुर्सत किसी के पास नहीं है। महिला अस्पताल की महिला चिकित्सको का कहना है कि अस्पताल में अग्नि शमन की व्यवस्था है लेकिन कुछ संयत्र खराब हो गये है इन्हें बदलने के लिए कार्रवाई चल रही है। जल्द ही संयत्र लग जायेंगे। जिला अस्पताल के सीएमएस डा0 दीपक सेठ का कहना है कि जहां जहां ऐसी कमी है उन्हीं कमरों में सिलिंडर लगा है। इसकी रिफलिंग के लिए कोई बजट नहंी मिलता है। इसके चलते काफी समस्या उत्पन्न हो रही है। सीएमओ डा0 सुष्पेन्द्र कुमार का कहना है कि सीएचसी,पीएचसी पर अग्निशमन की व्यवस्था की गई है। अग्निशमन विभाग के एफएसओ का कहना है कि इस संबंध में बहुत अधिक जानकारी नही है। महिला अस्पताल और जिला अस्पताल में संयत्र लगा है। रिफलिंग की जिम्मेदारी विभाग की है।