राकेश केसरी
कौशाम्बी। तमाम नियम-कानूनों को ताक पर रखकर जिले में मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन किया जा रहा है। योजना की मानीटरिंग सिर्फ कागजों पर हो रही है। स्वयं सेवी संस्थाएं ही नहीं अब प्रधान और प्रधानाध्यापक योजना की धनराशि डकारने में लगे हुए है। यह स्थिति ज्यादातर सिराथू इलाके के स्कूलों की है। तहसील क्षेत्र के ज्यादातर स्कूल स्वयंसेवी संस्थाओं के हवाले इन विद्यालयों में नियमों को दरकिनार कर भोजन बनाया जा रहा है और योजना के तहत भेजी जाने वाली भारी-भरकम रकम डकारी जा रही है। ठीक यही हाल क्षेत्र के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का है। प्रधान और प्रधानाध्यापक मिलकर मध्यान्ह भोजन योजना के रजिस्टर में फर्जी छात्र संख्या दर्ज करते ही है साथ ही मीनू का भी कोई ख्याल नहीं रखते है। खास बात यह है कि मध्याह्न भोजन के रजिस्टर में छात्र संख्या फर्जी तरीके से दर्ज हो रही है। इस पूरे खेल में बेसिक शिक्षा विभाग के बाबू अहम भूमिका निभाते है। यही वजह है कि शिकायतों के बाद भी न तो एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई होती है और न ही संबधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है।