राकेश केसरी
कौशाम्बी। जिले की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। सरकारी डाक्टर गैर जनपदो व मुख्यालय मंझनपुर में नर्सिंग होमों का संचालन कर रहे हैं। स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग की तमाम चेतावनियों के बाद भी यह डाक्टर मुडकर नहीं देखते हैं। देखा यह जाए तो एक भी चिकित्सक का वेतन पचास हजार से कम नहीं है लेकिन एक भी मरीज यह नहीं देखते हैं। चर्चा तो यहां तक है कि इसके लिये वह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क बना रखा है। इसकी वजह से वह मनमाने ढ़ंग से आते-जाते हैं। जिला प्रशासन ने एक बार भी ऐसे चिकित्सकों पर शिकंजा कसने के लिये कोई कार्यवाही नहीं की। अगर इन चिकित्सकों की पीएचसीवार एलाआईयू से जॉच करा लें फि र ऐसे डाक्टरों से प्रशासन के अधिकारी बात करें कि वे कैसे नौकरी कर रहे हैं। यही हाल रहा तो सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाएं फेल हो जाएंगी। देखा यह जाता है कि आज भी प्रसव के दौरान महिलाओं की मौत हो जा रही है। बच्चों की मृत्यु दर भी प्रदेश में बेहद खराब है। इसे दुरूस्त करने के लिये कई बार कदम उठाया गया लेकिन समुचित कदम न होने के कारण सफ लता नहीं मिल सकी है। गंगा-यमुना की तराई का यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। यहाँ स्वास्थ्य सुविधा की बेहद जरूरत है। आज भी गम्भीर किस्म के मरीजों को इलाहाबाद ले जाना पड़ता है। जिला चिकित्सालय में तो ब्लड तक नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं से ब्लड की व्यवस्था भी की लेकिन अभी लोग इसके लिये आगे नहीं आ रहे हैं। प्रशासन के अधिकारियों को भी इस ओर प्रयास करना चाहिये।