राकेश केसरी
कौशाम्बी। गांव मे खेत के साथ खलिहान हमेशा से जुडा रहा है, लेकिन अब गांव की यह हालत है कि खलिहानो को तेजी से खत्म किया जा रहा है। वह भी प्रशासनिक कर्मचारियो और अधिकारियो की मिली भगत से जिससे फसलो के रखने का स्थान खत्म होता जा रहा है। वर्षो पूर्व जब चंकबदी हुई थी तो सर्वजानिक स्थानो को चिन्हित कर छोड दिया गया है। जिसमे खलिहान प्रमुख है। गांव के किसान खलिहानो को समूहिक रूप से रबी व खरीफ की साभी फसलो को काटकर उसकी मडाई करते थे। लेकिन अब ग्राम पंचायत प्रतिनिधियो एंव लेखपालो के मौखिक आदेश से वहां पर अतिक्रमण करके घर खेत बनाया जा रहा है। यह कार्य जनपद के सभी गांव मे हो रहा है। इन खलिहानो के न रहने से बडे किसानो को तो कोई नुकासन नही है ,परन्तु छोटे किसान काफी परेशानी उठा रहे हैै। क्यो कि बडे किसान अपना कोई भी खेत मे फसल रखकर उसकी मडाई कर लेते है। लेकिन छोटे किसान के पास ज्याद जमीने न होने पर काफी परेशानी का समाना करना पडता है। प्रशासन भी आंख बंद किए उनकी अनदेखी कर रहा है। कुछ दिनो बाद आगे आने वालंी पीढियां जब खेत खलिहान को साथ पढेगी तो अवश्य पूछेगी कि खेत तो दिखाई देते है। खलिहान कहां गये तब एक ही उत्तर होगा कि प्रशासन अपनी जेंब भर करके ले गया।

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