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दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा, दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों पर रोक लगी

Friday, November 4, 2022

/ by Today Warta



नई दिल्ली। दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। गुरुवार शाम को दिल्ली-एनसीआर में अदक 400 के पार था। आज दिल्ली का एक्यूआई 450 के करीब रहने की आशंका है, वहीं नोएडा में यह 500 के पार जा सकता है। बढ़ते प्रदूषण के चलते नोएडा में 8वीं क्लास तक की क्लासेस आॅनलाइन चलाने के निर्देश दिए गए हैं। 9वीं से 12वीं तक की क्लास भी आॅनलाइन चलाने का आदेश है। उधर, केंद्रीय पैनल वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में डीजल के चार पहिया वाहनों, ट्रकों की दिल्ली में एंट्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। आपातकालीन सेवाओं में लगे वाहनों को इससे छूट दी गई है। इसके साथ ही कमर्शियल निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है। प्रदूषण बढ़ने से अस्पतालों की ओपीडी में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। पहले ओपीडी में हर रोज 20-25 सांस के मरीज आते थे, यह संख्या अब बढ़कर 70-75 हो गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिल्ली सरकार से स्कूलों को बंद करने का आग्रह किया है।

53% लोगों ने पराली जलाने को प्रदूषण का कारण बताया

लोकल सर्कल के सर्वे के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के 53% लोगों का कहना है कि पराली जलाना प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण है। 20 हजार लोगों पर किए गए सर्वे में 13% ने प्रदूषण के लिए वाहनों को जिम्मेदार माना। वहीं, 56% लोग दिल्ली में आॅड-इवन फॉमूर्ला लागू करने का विरोध कर रहे हैं।

प्रदूषित हवा से गर्भपात का भी खतरा: डॉ. गुलेरिया

प्रदूषित हवा से सिर्फ सांस संबंधी बीमारियां ही नहीं बल्कि हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के साथ ही गर्भपात का भी खतरा बढ़ गया है। दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि द लैंसेट की स्टडी बताती है कि वायु प्रदूषण बेहद खराब श्रेणी में होने से गर्भवती के सांस लेने का असर भ्रूण पर होता है। इससे भ्रूण का विकास कम होता है, साथ ही गर्भपात का खतरा भी बढ़ता है। एम्स रुमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. उमा कुमार ने बताया, प्रदूषण बढ़ने से गठिया मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। जिनमें गठिया का लक्षण नहीं होता, उनके खून के नमूनों में आॅटो एंटीबॉडी पॉजिटिव मिला। ऐसे लोगों की संख्या 18% थी। अब इस प्रकार के रोगियों पर दोबारा से अध्ययन किया जाएगा।

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